सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि SC/ST एक्ट के तहत अपराध केवल इस पर निर्भर नही करता कि शिकायतकर्ता SC/ST जाति का सदस्य है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली पीठ ने SC/ST अधिनियम की धारा 3(1) (x) और 3 (1) के तहत दोषी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत को खारिज दिया है।
पीठ जिसमे जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी भी शामिल थे उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए अपमान और धमकी तब तक अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में नही आता जब तक कि इस तरह का अपमान ,धमकी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित पीड़ित की जाति से ताल्लुख नही रखती ।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि SC/ST अधिनियम का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति, जनजाति की आर्थिक सामाजिक स्थितियों में सुधार करने की है, क्योंकि उनको अधिकारों से वंचित रखा जाता है।
इस अधिनियम के तहत अपराध उस वक्त किया जाएगा जब SC/ST समाज के कमजोर वर्ग के सदस्यों को गुस्सा,अपमान, उत्पीडन उनके जाति के समबन्ध में किया जाता है।
किसी भी पक्ष द्वारा भूमि पर टाइटल का दावा अकर्मण्यता ,अपमान और उत्पीड़न के कारण नही होता। भारत वर्ष के सभी नागरिकों को कानून के अनुसार फायदा उठाने के अधिकार प्राप्त हैं
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई टिप्पणी किसी भवन के अन्दर की गई है और वहाँ पर कुछ अन्य लोग मौजूद हैं (रिश्तेदार और मित्र न हों) तो इसको अपराध नही माना जायेगा क्योंकि यह सामाजिक दृष्टिकोण में नही है।
Case Details:-
Title: Hitesh Verma vs State of Uttarakhand
Date of Order:05.11.2020
Coram: Hon’ble Justice L Nageswara Rao, Hon’ble Justice Hemant Gupta and Hon’ble Justice Ajay Rastogi
Counsel of appellant: Ayush Negi