हाल के एक निर्णय में, माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यह माना है कि पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 (2) (एफ) पासपोर्ट के नवीनीकरण के मामले में लागू नहीं होगी।
पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 (2) (एफ) के तहत, प्राधिकरण के पास आपराधिक मामले लम्बित होने के आधार पर केवल नया पासपोर्ट जारी करने से मना करने की शक्ति है।
मामले के तथ्य
कृष्णा चिरंजीवी राव (याचिकाकर्ता) ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कर्नाटाक हाईकोर्ट मंे एक याचिका दायर की। इस याचिक में याची कोर्ट से निवेदन किया कि कोर्ट पासपोर्ट प्राधिकरण को निर्देेशित करने के वे याची का पासपोर्ट नवीनीकृत कर जारी करें।
याची का कहना था कि वह ईआरपी सलाहकार के रूप में यूएसए में स्थानांतरित है। याची ने कहा कि वह एच1बी वीजा के आधार पर अपने परिवार के साथ यूएसए में रह रहा हैं।
दिनांक 22.01.2020 को याचिकाकर्ता ने भारतीय दूतावास, न्यूयॉर्क, यूएसए के समक्ष अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। इसके बाद, 17.06.2020 को, याचिकाकर्ता को क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से एक ईमेल मिला। इस ई-मेल में कहा गया था कि सीबीआई के पत्र के अनुसार याचिकाकर्ता के खिलाफ एक आपराधिक मामला लम्बित है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय का निर्णय
न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने निर्णय दिया कि पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 (2) (एफ) के पढ़ने से, यह स्पष्ट है कि उक्त प्रावधान प्राधिकरण को आपराधिक मामला लम्बित होने पर नये पासपोर्ट ना जारी करने की शक्ति देता है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता के पासपोर्ट को न तो अस्वीकार किया गया है और न ही उसे रद्द किया गया है, इसलिए याचिकाकर्ता के लिए आपातकालीन प्रमाणपत्र प्राप्त करने के नियम लागू नहीं हैं।
यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता को यात्रा का अधिकार इस आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है। पासपोर्ट के नवीनीकरण से इनकार करने के लिए यह आधार भी नहीं हो सकता है।
सतवंत सिंह साहनी के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को न्यायालय द्वारा संदर्भित किया गया था। इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, किसी भी व्यक्ति को यात्रा से वंचित नहीं किया जा सकता है, जबतक कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन ना किया जाये।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश ने सुरेश नंदा बनाम सीबीआई के मामले में सर्वाेच्च न्यायालय के निर्णय पर भरोसा किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने के बावजूद वह पासपोर्ट रखने का हकदार था।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने उपरोक्त याचिका को देखते हुए रिट पिटीशन को अनुमति दी और पासपोर्ट अथॉरिटी को 9 महीने की अवधि के लिए याची का पासपोर्ट नवीनीकृत करने का निर्देश दिया। साथ ही नवीकरण के लिए याची को 5,00,000 / रुपये की बैंक गारंटी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने आगे निर्देश दिया है कि पासपोर्ट के नवीनीकरण की तारीख से 6 महीने के भीतर याचिकाकर्ता सक्षम अदालत के समक्ष उपस्थित होगा।
याचिकाकर्ता द्वारा उपस्थिति में चूक के मामले में, अधिकारियों को पासपोर्ट के नवीनीकरण को रद्द करने और बैंक गारंटी को भुनाने की स्वतंत्रता दी गई है।
Case Details
Ttile: Mr. Krishna Chiranjeevi Rao Palukuri Venkata Vs Union Of India And Others
Case No. Writ Petition No.9141/2020
Coram: Hon’ble Justice Hemant Chandanagoudar
Date of Order: 01/10/2020