जीवन बीमा पॉलिसी लेते वक्त बीमा पॉलिसी धारक की जिम्मेदारी होती है कि
वह अपनी स्वास्थ्य संबंधित सभी जानकारियों को बीमा कंपनी के साथ शेयर करे
ऐसा न करने पर बीमा कंपनी पालिसी धारक का दावा खारिज कर सकती हैं
इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने सख्त तेवर दिखाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूर्ण, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा है कि
बीमा पॉलिसी दो लोगों के बीच अत्यधिक भरोसे पर निर्भर होती है ऐसे में पॉलिसी लेने वाले प्रत्येक व्याक्ति को अपने जीवन से जुड़ी जानकारियों का खुलासा करना उनका मूलभूत कर्तव्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने NCDR के इस वर्ष के मार्च माह के एक फैसले को निरस्त करते हुए टिप्पणी की।
बीमा पॉलिसी धारक को अलग से बीमारियों का खुलासा करने की जरूरत
अदालत की सयुंक्त पीठ ने कहा है कि प्रस्ताव फार्म में ग्रसित पुरानी बीमारियों का खुलासा करने की जरूरत होती है
ताकि बीमा कंपनी बिना किसी जोखम के एक विचारशील निर्णय पर पहुच सके
बीमा लेने वाले हर व्यक्ति का यह फर्ज है वह संबंधित मुद्दे की जानकारी शेयर करे ताकि बीमा कंपनी बिना जोखिम के एक विवेकपूर्ण फैसला ले सके।
पॉलिसी धारक ने नही दी बीमारी की जानकारी बीमा कंपनी ने दावा किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के फैसले को निरस्त करते हुए कहा है कि
बीमा धारक ने अपनी पुरानी बीमारियों की जानकारी बीमा कंपनी से साझा नही की पॉलिसी लेने के महज एक माह पहले ही धारक को खून की उल्टियां हुई थी
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा है कि बीमा कंपनी की जांच पड़ताल में पता चला है कि पॉलिसी धारक विगत कई दिनों से बीमारियों से पीड़ित था ।
जो लंबे समय से अल्कोहल के सेवन से उसे हुई थी।उसने यह जानकारी भी बीमा कंपनी से छुपाई जिसे वह बखूबी जानता था।
Case Details:-
Title: Bajaj Allianz Life Insurance vs Dalbir Kaur
Case No. Civil Appeal No. 3397 of 2020
Date of Order: 09.10.2020
Coram: Hon’ble Justice Dr D.Y Chandrachud, Hon’ble Justice Indu Malhotra and Hon’ble Justice Indira Banerjee