हाल ही में, एक याचिका पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सामने आई। इस याचिका में उत्तरदाताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश मॉंगा गया था। साथ ही यह भी प्रार्थना थी कि एक शैक्षिक धर्मार्थ ट्रस्ट को भंग किया जाये और याची को उक्त ट्रस्ट के सचिव के रूप में नियुक्त किया जाये।
सरकार के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अदालत से तथ्य छुपाये है, क्यांेकि उसने इसी प्राथर्ना के लिए और भी वाद दायर कर रखे है। इसलिए याचिका को खारिज कर देना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को सीधे उच्च न्यायालय के पास जाने से पहले अपनी शिकायत के निवारण के लिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत उपाय का लाभ उठाना चाहिए था।
मैंने कइयों को जज बनाने में भूमिका निभाई है
हाईकोर्ट ने उक्त के आलोक में याचिका को 50 हजार रूपये की कॉस्ट के साथ खारिज करने का आदेश दिया। परन्तु उसी क्षण याची के वकील ने कोर्ट से कहा कि उसे हर्जाने की कोई चिन्ता नहीं है, वह एक लाख का हर्जाना भी दे सकता है। आगे वकील ने कहा कि उसका कइयों को जज बनान में योगदान रहा है, तो फिर उसकी दलीलों को कोर्ट कैसे खारिज कर सकती है।
इसपर हाईकोर्ट ने हर्जाने की रकम को 50 हजार से बढ़ा कर 1 लाख कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया ।
Case Details:
Title: Shiv Kumar Chauhan vs State of Haryana
Case No: CRM-M-10422 of 2020
Coram: Hon’ble Justice Arun Monga
Date of Order: 03.11.2020