मंगलवार को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह दिल्ली सरकार द्वारा जेल में बंद कैदियों की अंतरिम जमानत और आपातकालीन पैरोल को समाप्त करने का आदेश लाने का इरादा रखती है।
क्योंकि दिल्ली सरकार ने अदालत को सूचित किया कि केवल 3 कैदी COVID 19 से संक्रमित हैं, जिनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
इससे पहले मार्च में, दिल्ली में कैदियों को अंतरिम जमानत और आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया गया था
ताकि जेलों में COVID 19 के प्रसार को रोका जा सकेे।
मंगलवार को उच्च न्यायालय की 3-सदस्यीय पीठ, ने कहा कि कोरोनो वायरस प्रकोप के कारण पूर्व में ऐसा आदेश पारित किया गया था।
आपराधिक मामलों के स्थायी वकील, वकील राहुल मेहरा के माध्यम से, दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि
कुल 5,581 कैदियों को अंतरिम जमानत और आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया गया था।
हालांकि दिल्ली में जेलों की कुल क्षमता 10,000 है, मगर लगभग 16,000 कैदियों को इनमे रखा जाता है।
दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि 216 जेल कर्मचारियों की रिपोर्ट कोविड -19 पाजिटिव आयी थी, जिनमें से 206 वायरल संक्रमण से उबर चुके है।
दिल्ली के तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कुछ कर्मचारी जेल में रहते हैं और अन्य बाहर से काम करने के लिए तैयार नहीं है।
संदीप गोयल ने कहा कि “वर्तमान में, केवल तीन कैदियों का इलाज अस्पतालों में चल रहा है।
विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने उच्च न्यायालय को बताया कि
फरवरी के अंत में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किए गए 25 कैदियों को हाईकोर्ट के आदेश के कारण अंतरिम जमानत और आपातकालीन पैरोल पर रिहा कर दिया गया था।
मुख्य न्यायधीश ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पूर्व आदेश को समाप्त करने का इरादा किया है क्यांेकि कैदियों को रियायत केवाल कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण दी गयी थी।
मेहरा ने इस कदम का विरोध किया और कहा कि यह शीर्ष अदालत द्वारा जेलों के सुधार और सुधार के लिए पारित आदेशों की भावना के खिलाफ होगा।
उन्होंने बताया कि दिल्ली अभी भी COVID 19 महामारी की चपेट में है।
हालाँकि, उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि अब कैदियां को उस स्थिति में वापस आ जाना चाहिए जैसा पहले था।
हॉलांकि कैदियों को कानून के तहत जो भी उपचार उपलब्ध हैं, उसकी अनुमति दी जाएगी।