हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए एक अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें पालमपुर में चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित करने पर रोक लगा दी गई। यह भूमि पर्यटन गांव के विकास के लिए निर्धारित थी, जो सुखू सरकार द्वारा संचालित एक परियोजना है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने दिया, जिसने मुख्य सचिव, पर्यटन और कृषि विभागों के सचिवों, कांगड़ा जिला कलेक्टर और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सहित राज्य के प्रमुख अधिकारियों को 17 अक्टूबर तक अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।
अदालत का यह आदेश हिमाचल प्रदेश कृषि शिक्षक संघ द्वारा शुरू की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर दिया गया। संघ ने तर्क दिया कि प्रस्तावित हस्तांतरण कृषि शिक्षा और अनुसंधान को खतरे में डालेगा, जिससे किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
विवाद तब शुरू हुआ जब स्थानीय लोगों और विश्वविद्यालय के सात पूर्व कुलपतियों सहित विभिन्न हितधारकों ने परियोजना का कड़ा विरोध किया। उन्होंने संस्थान में शैक्षणिक गतिविधियों और शोध पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। 29 अगस्त को उनकी शिकायतों को औपचारिक रूप से राज्यपाल और मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें पर्यटन उद्देश्यों के लिए विश्वविद्यालय की भूमि आवंटित करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया।