हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में फैसला सुनाया है कि छह साल से कम उम्र के छात्र जिन्होंने अपनी प्री-स्कूल शिक्षा पूरी कर ली है, उन्हें शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए कक्षा 1 में प्रवेश दिया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मोनिका शर्मा और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) की समीक्षा के बाद यह फैसला सुनाया।
पीआईएल में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि प्री-स्कूल पाठ्यक्रम पूरा करने के बावजूद, 30 सितंबर, 2024 तक छह साल से कम उम्र के बच्चों को शुरू में कक्षा 1 में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। यह निर्णय राज्य सरकार के 2023 के निर्देश के संदर्भ में आया है, जिसमें 2024-25 शैक्षणिक वर्ष से शुरू होने वाले कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित की गई है, जिसमें 30 सितंबर तक एक बार की आयु में छूट दी गई है।
अदालत का यह आदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के चरणबद्ध कार्यान्वयन के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य शिक्षा को अधिक समावेशी और सुलभ बनाना है। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं के अनुसार, इस समायोजन से हिमाचल प्रदेश भर में लगभग 50,000 युवा शिक्षार्थी प्रभावित होंगे, जिससे उन्हें बिना किसी देरी के औपचारिक स्कूली शिक्षा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि उच्च किंडरगार्टन पूरा कर चुके बच्चों को उस वर्ष दोबारा पढ़ाने की बाध्यता से उनके बौद्धिक और मनोवैज्ञानिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है, तथा शिक्षा की बढ़ती लागत को देखते हुए परिवारों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है।