हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने गैर-राजपत्रित कर्मचारियों के लिए 20% वेतन वृद्धि लागू न करने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। यह वेतन वृद्धि हाईकोर्ट द्वारा पहले ही आदेशित की जा चुकी थी और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा था। अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश का पालन करने के लिए दो सप्ताह की अंतिम मोहलत दी है, अन्यथा अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी है।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश 7 अप्रैल को हाईकोर्ट के गैर-राजपत्रित कर्मचारी संघ की ओर से दायर निष्पादन याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। यह कार्रवाई तब की गई जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा वेतन वृद्धि को चार किश्तों में लागू करने के निर्देश की पुष्टि के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकार की देरी पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा, “हम स्पष्ट रूप से यह मानते हैं कि प्रतिवादी (राज्य सरकार) जानबूझकर इस न्यायालय के निर्णय, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी पुष्टि दी है, को लागू करने से बच रही है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में देरी का कोई औचित्य नहीं था, क्योंकि हाईकोर्ट द्वारा गठित और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित समिति पहले ही वेतन वृद्धि और एरियर भुगतान की सिफारिश कर चुकी थी। इसके बावजूद राज्य सरकार ने आवश्यक अधिसूचना जारी नहीं की, और इसे कुछ और विभागों की मंज़ूरी के बहाने टालती रही, जिसे कोर्ट ने “गंभीर चूक” बताया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “राज्य को केवल एक औपचारिक अधिसूचना जारी करनी थी… और किसी भी सलाहकार विभाग से और मंज़ूरी लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता था।” कोर्ट ने फिलहाल अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो आगे सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अब इस मामले की अनुपालन सुनवाई 23 अप्रैल को तय की गई है। यह वेतन वृद्धि की मांग 2018 से लंबित है, जिसका उद्देश्य पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के कर्मचारियों के समान वेतनमान प्राप्त करना था। जनवरी 2023 में इस पर सहमति बनती दिखी थी, लेकिन तब से यह मामला अफसरशाही की भेंट चढ़ा हुआ है।