सांसद राकेश राठौर के खिलाफ यौन शोषण मामले में ट्रायल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सांसद राकेश राठौर के विरुद्ध यौन शोषण के मामले में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने 20 मई 2025 को पारित किया, जब आरोपी ने ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपमुक्ति आवेदन खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की।


आपराधिक पुनरीक्षण संख्या 566/2025 में पारित अंतरिम आदेश के तहत, न्यायालय ने 5 मई 2025 को फास्ट ट्रैक कोर्ट (ओ.ए.डब्ल्यू.), सीतापुर द्वारा पारित आदेश और उसके बाद की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। सत्र वाद संख्या 242/2025 थाना कोतवाली, जनपद सीतापुर के मामले में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 64(2), 351(3), 127(2) और 69 के तहत राकेश राठौर पर आरोप लगाए गए हैं।

मामले की पृष्ठभूमि
प्राथमिकी 17 जनवरी 2025 को दर्ज की गई, जिसमें शिकायतकर्ता ने कहा कि वर्ष 2018 में उनकी मुलाकात तत्कालीन विधायक राकेश राठौर से हुई। राठौर ने उन्हें राजनीतिक सहयोग और संरक्षण का प्रस्ताव दिया। बाद में शिकायतकर्ता को तैलिक महासंघ (सीतापुर) की महिला जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिससे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं।

एफआईआर और न्यायिक बयानों (धारा 180 व 183 बीएनएसएस) में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मार्च 2020 में राकेश राठौर ने उनके घर बुलाकर बलात्कार किया और झूठा वादा किया कि वह अपनी पत्नी को तलाक देकर शिकायतकर्ता से विवाह करेगा। अगस्त 2024 में सांसद बनने के बाद भी उन्होंने शिकायतकर्ता को धमकाकर कुछ खाली कागजों पर हस्ताक्षर कराए और बदनाम करने की धमकी दी।

पक्षकारों की दलीलें
रिवीजनकर्ता की ओर से दलील दी गई कि शिकायतकर्ता एक 49 वर्षीय विवाहित महिला हैं, जो स्कूल चलाती हैं और जिनका पुत्र विवाहित है। राकेश राठौर स्वयं 60 वर्षीय विवाहित व्यक्ति हैं। शिकायतकर्ता की ओर से लगाए गए आरोपों का समर्थन केवल उनके पति, पुत्र और बहू ने किया है।

रिवीजनकर्ता ने हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल, 1992 Supp (1) SCC 335 तथा बिस्वज्योति चटर्जी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य, 2025 SCC OnLine SC 741 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि मामला झूठे वादे पर आधारित है और जांच व अभियोजन की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

READ ALSO  केरल की अदालत ने 15-वर्षीय लड़की से बलात्कार और हत्या के लिए एक व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई

वहीं, राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता और अपर सरकारी अधिवक्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोप तय करते समय सबूतों की विश्वसनीयता पर विचार नहीं किया जा सकता और अभियोजन के पास पर्याप्त सामग्री है जिससे मुकदमा चलाने का आधार बनता है।

न्यायालय का विश्लेषण और निर्णय
न्यायालय ने कहा कि एक विवाहित महिला, जो एक स्कूल चलाती हैं और जिन्हें राजनीतिक पद भी मिला है, उनके द्वारा यह आरोप लगाना कि राकेश राठौर ने विवाह का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए, वह परिस्थितियों में संदेहास्पद प्रतीत होता है।

न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने कहा:

“प्रकरण की विशिष्ट परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए… मैं मानता हूं कि अंतरिम राहत का मामला बनता है।”

इस प्रकार, 5 मई 2025 के आदेश और सत्र वाद संख्या 242/2025 की आगे की कार्यवाही पर रोक लगाई गई है। न्यायालय ने विपक्षी पक्ष को नोटिस जारी करते हुए जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

READ ALSO  उत्तराखंड स्टिंग मामला : हरीश रावत, हरक सिंह रावत के वॉयस सैंपल लेने के आदेश


मामला स्वीकार कर लिया गया है और आगामी सुनवाई 28 जुलाई 2025 से प्रारंभ होने वाले सप्ताह में नियत की गई है।

मामला विवरण:
मामला: आपराधिक पुनरीक्षण संख्या 566 / 2025
पक्षकार: राकेश राठौर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य
वकील:
रिवीजनकर्ता की ओर से: श्री नदीन मुर्तज़ा, श्री अरुण सिन्हा, श्री पुर्णेंदु चक्रवर्ती, श्री सिद्धार्थ सिन्हा एवं श्री वली नवाज़ खान
राज्य की ओर से: श्री विनोद कुमार शाही (अपर महाधिवक्ता) एवं श्री अनुराग वर्मा (अपर सरकारी अधिवक्ता-I)

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles