झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट में शनिवार को डाल्टेनगंज विधायक आलोक चौरसिया के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो गई। अब कुछ कानून पहलू पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 19 मई निर्धारित की गई है। मामले में विधायक आलोक चौरसिया की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने पैरवी की। उनकी ओर से बहस के दौरान कोर्ट को बताया गया कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) एक्ट की धारा 28 के अनुसार जैक कोई कार्रवाई या आदेश पारित करता है तो उसे न्यायालय में चैलेंज नहीं किया जा सकता है।
आलोक चौरसिया की ओर से यह भी कहा गया कि जब जैक ने उनके जन्मतिथि में संशोधन कर दिया है और वह अब ठीक हो चुका है तो उसे किसी अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, तो फिर इलेक्शन पिटिशन में कैसे इसे चुनौती दी जा सकती हैं। उनकी ओर से दलील दी गई कि जैक द्वारा आलोक चौरसिया के जन्म तिथि में किए गए सुधार के संबंध में अदालत कोई आदेश पारित नहीं कर सकता है।
याचिकाकर्ता केएन त्रिपाठी का आरोप है कि आलोक चौरसिया ने अपने जन्मतिथि में बदलाव किया है जबकि आलोक चौरसिया के जन्मतिथि में जो बदलाव हुआ है, वह जैक के अधिकार क्षेत्र में आता है, जैक को जन्म तिथि में सुधार करने का कानूनी पावर है।
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आलोक चौरसिया की ओर से गलती से फॉर्म भरते समय जन्मतिथि वर्ष 1995 का भर दिया गया था। बाद में उन्हें महसूस हुआ कि गलत भरा गया है लेकिन वे उस समय ठीक नहीं करा सके थे।
बाद में उन्होंने वर्ष 2012 में अपने जन्म तिथि में सुधार की कार्रवाई शुरू की थी। इसके बाद वर्ष 2014 में उनकी जन्मतिथि में झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने सुधार किया था। सुनवाई के दौरान केएन त्रिपाठी की ओर से हाई कोर्ट के अधिवक्ता महेश तिवारी एवं अभिषेक कुमार दुबे ने पैरवी की। पूर्व की सुनवाई में केएन त्रिपाठी की ओर से बहस में कहा गया था कि झारखंड विधानसभा चुनाव के नामांकन के समय में आलोक चौरसिया की उम्र 25 वर्ष से कम थी। इसलिए वे चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे।