छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से खरीदे गए चाकू की डिलीवरी करने वाले लॉजिस्टिक्स कंपनी के दो कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया है। उक्त चाकू का इस्तेमाल बाद में हत्या में किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने 1 सितम्बर को दिनेश साहू (सीनियर एरिया मैनेजर) और हरिशंकर साहू (डिलीवरी एजेंट) की याचिका खारिज कर दी। दोनों कर्मचारी इलास्टिकरन (ElasticRun) लॉजिस्टिक्स कंपनी से जुड़े हैं।
पुलिस ने 19 जुलाई को रायपुर जिले के मंदिर हसौद थाने में एफआईआर दर्ज की थी। इसमें कर्मचारियों सहित कुल छह लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 125(बी) (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना) और 3(5) (सामूहिक इरादे से किया गया कृत्य) के तहत आरोप लगाए गए।

पुलिस के अनुसार, समीर टंडन और कुनाल तिवारी नामक दो युवकों ने फ्लिपकार्ट से चाकू खरीदा था और 17 जुलाई को मंदिर हसौद इलाके के एक पेट्रोल पंप पर डकैती और हत्या की वारदात को अंजाम देने में इसका इस्तेमाल किया। पुलिस का कहना है कि यह चाकू आर्म्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित श्रेणी में आता है।
एफआईआर में आरोप है कि प्रतिबंधित चाकू की डिलीवरी इलास्टिकरन की सप्लाई चेन के माध्यम से की गई, जबकि पुलिस पहले ही ई-कॉमर्स कंपनियों को ऐसे हथियारों की बिक्री न करने की चेतावनी दे चुकी थी।
कर्मचारियों की दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता देवाशीष तिवारी ने दलील दी कि कर्मचारियों ने केवल सीलबंद पैकेज की डिलीवरी की थी और उन्हें उसके भीतर की सामग्री या खरीदार के इरादे की कोई जानकारी नहीं थी।
उन्होंने कहा कि इलास्टिकरन का फ्लिपकार्ट की लॉजिस्टिक्स इकाई इंस्टाकार्ट सर्विसेज से करार है, जिसके तहत कर्मचारियों को पैकेज के साथ छेड़छाड़ करने की मनाही है और वे केवल उसे intact रूप में डिलीवर करने के लिए बाध्य हैं।
तिवारी ने यह भी तर्क दिया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2(1)(w) के तहत फ्लिपकार्ट “मध्यस्थ” (intermediary) की परिभाषा में आता है और धारा 79 के अंतर्गत उसे तथा उसकी सहयोगी कंपनियों को ‘सेफ हार्बर’ (Safe Harbour) संरक्षण प्राप्त है।
सरकारी वकील सौम्या शर्मा ने कहा कि चूंकि खरीदा गया चाकू प्रतिबंधित वस्तु था, इसलिए केवल पैकेज की जानकारी न होने का हवाला देकर कर्मचारी आपराधिक जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।
उन्होंने यह भी बताया कि अक्टूबर 2024 में एंटी-क्राइम एवं साइबर यूनिट, बिलासपुर ने अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और शॉपक्लूज़ जैसी प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों को पत्र लिखकर रसोई के चाकू को छोड़कर अन्य सभी ऑनलाइन चाकू की बिक्री की जानकारी मांगी थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि संज्ञेय अपराधों की जांच में अदालतें सामान्यतः हस्तक्षेप नहीं करतीं और एफआईआर तभी रद्द की जाती है जब सतही तौर पर भी आरोप किसी अपराध का गठन न करते हों।
पीठ ने कहा,
“एफआईआर में स्पष्ट आरोप है कि आरोपियों द्वारा फ्लिपकार्ट से मंगाया गया चाकू, जो आर्म्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित है, इलास्टिकरन की लॉजिस्टिक्स श्रृंखला के माध्यम से डिलीवर किया गया… जबकि पुलिस पहले ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को इस तरह की वस्तुएं सप्लाई न करने की चेतावनी दे चुकी थी।”
अदालत ने यह भी जोड़ा,
“याचिकाकर्ताओं को पैकेज की वास्तविक जानकारी थी या नहीं, उन्होंने लापरवाही की या नहीं, और क्या उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत सेफ हार्बर सुरक्षा का लाभ मिलेगा—ये सभी मुद्दे जांच के अधीन हैं।”
इस प्रकार, अदालत ने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया और मामले की आगे जांच का रास्ता साफ किया।