बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को उस अंतरिम आदेश को बरकरार रखा, जिसमें फिल्म ‘शादी के डायरेक्टर करण और जौहर’ या ‘शादी के डायरेक्टर करण जौहर’ की रिलीज़ पर रोक लगाई गई थी। अदालत ने कहा कि यह टाइटल फिल्म निर्माता करण जौहर के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों का उल्लंघन करता है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक की खंडपीठ ने फिल्म निर्माता संजय सिंह की अपील खारिज कर दी, जिन्होंने मार्च 2024 में एकल न्यायाधीश द्वारा जारी फिल्म पर रोक के आदेश को चुनौती दी थी। यह आदेश करण जौहर की याचिका पर जारी हुआ था।
कोर्ट ने कहा कि करण जौहर ने भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मनोरंजन जगत में अपार प्रतिष्ठा और लोकप्रियता अर्जित की है। “करण जौहर नाम एक ब्रांड बन चुका है और प्रतिवादी संख्या 1 (जौहर) से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है,” अदालत ने कहा।

संजय सिंह की इस दलील को अदालत ने खारिज कर दिया कि ‘करण’ और ‘जौहर’ के बीच “और” शब्द जोड़ देने से फिल्म का टाइटल करण जौहर से नहीं जुड़ता। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के संयोजन से भी आमजन में भ्रम उत्पन्न होता है। “इन दोनों नामों का कोई भी संयोजन जनता के मन में भ्रम पैदा करने के लिए पर्याप्त है,” आदेश में उल्लेख किया गया।
अदालत ने यह भी दोहराया कि एक सेलिब्रिटी के रूप में करण जौहर को अपने व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा का पूरा हक है। “भारतीय अदालतें लगातार इस बात को मान्यता देती रही हैं कि ऐसे अधिकार लागू करने योग्य हैं, और प्रतिवादी को तीसरे पक्ष द्वारा अवैध व्यावसायिक उपयोग से संरक्षण पाने का अधिकार है,” पीठ ने कहा।
करण जौहर के ब्रांड मूल्य को रेखांकित करते हुए, अदालत ने कहा कि उनके नाम का फिल्म के शीर्षक में उपयोग उनकी प्रतिष्ठा और लोकप्रियता के अनुचित दोहन के समान है। “अपीलकर्ता को इस तरह से प्रतिवादी की प्रसिद्धि का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती,” अदालत ने कहा।