हरियाणा सरकार ने निलंबित न्यायिक अधिकारी और पूर्व विशेष सीबीआई जज सुधीर परमार के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक कदाचार के आरोपों पर अभियोजन की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही अब उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह मंजूरी हाल ही में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 19 और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 के तहत दी गई है। किसी लोक सेवक को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजित करने के लिए यह मंजूरी आवश्यक होती है।
एफआईआर और आरोप
परमार, जो उस समय पंचकूला में विशेष सीबीआई और पीएमएलए अदालतों का कार्यभार संभाल रहे थे, को हरियाणा एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 17 अप्रैल, 2023 को दर्ज एफआईआर में नामजद किया था। यह एफआईआर उनके भतीजे अजय परमार और एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रूप बंसल के खिलाफ भी दर्ज की गई थी।

एफआईआर में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 8, 11 और 13 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया। आरोप है कि परमार ने रियल एस्टेट डेवलपर्स — एम3एम समूह के बंसल बंधुओं और आईआरईओ ग्रुप के ललित गोयल — को उनके मामलों में अनुचित लाभ पहुँचाने का काम किया।
हाईकोर्ट की सिफारिश और चार्जशीट
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जनवरी 2025 में एसीबी की जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद परमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी। लगभग 18 महीने की जांच के बाद एसीबी ने राज्य सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी, जो अब मिल गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की, “एसीबी अब ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर निलंबित न्यायिक अधिकारी को आरोपी के रूप में पेश करेगी।”
विशेष पीएमएलए जज राजीव गोयल ने 7 जनवरी 2025 के आदेश में कहा था: “जांच में प्रारंभिक अपराध (predicate offence) के घटित होने के पक्ष में तथ्य सामने आए हैं।”
चैट्स और रिकॉर्डिंग बने सबूत
एफआईआर व्हाट्सऐप चैट्स, फोन रिकॉर्डिंग्स और गुप्त स्रोत से मिली जानकारी पर आधारित थी। इन चैट्स में परमार को एम3एम मालिकों से ईडी मामलों में मदद करने के लिए ₹5–7 करोड़ की मांग करते हुए दिखाया गया है।
एफआईआर के अनुसार, बातचीत में यह भी उल्लेख है कि आईआरईओ मामले में पहले ही उन्हें ₹5 करोड़ दिए जा चुके थे। ये चैट्स परमार और उनके भतीजे अजय परमार के मोबाइल फोनों से प्राप्त हुईं। अजय परमार उस समय एम3एम में लीगल एडवाइज़र के पद पर कार्यरत थे।
निलंबन और गिरफ्तारी
एसीबी ने 18 अप्रैल 2023 को पंचकूला स्थित परमार के सरकारी आवास पर छापेमारी की और उनसे पूछताछ की। इसके बाद 27 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें निलंबित कर दिया।
एसीबी ने उन्हें अगस्त 2023 में गिरफ्तार किया था, हालांकि नवंबर 2023 में उन्हें जमानत मिल गई। इस एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया।
यह मामला रियल एस्टेट कारोबारी ललित गोयल से भी जुड़ा है, जिन्हें ईडी ने नवंबर 2021 में गृह खरीदारों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। फरवरी 2022 में ईडी ने उनके खिलाफ पंचकूला की विशेष पीएमएलए अदालत में अभियोजन शिकायत दाखिल की थी।