ग्वालियर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में ग्वालियर नगर निगम (GMC) में प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त किए गए 61 अधिकारियों और कर्मचारियों, जिनमें नगर निगम आयुक्त भी शामिल हैं, की नियुक्तियों को अवैध घोषित कर दिया है। अदालत ने इन सभी अधिकारियों को उनके मूल विभागों में तत्काल वापस भेजने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जी.एस. अहलुवालिया ने डॉ. अनुराधा गुप्ता द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में ग्वालियर नगर निगम में डॉ. अनुज शर्मा की स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में नियुक्ति पर आपत्ति जताई गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि डॉ. शर्मा एक पशु चिकित्सक हैं और इस पद के लिए आवश्यक एमबीबीएस योग्यता नहीं रखते।
अदालत ने पाया कि डॉ. शर्मा की नगर निगम आयुक्त के रूप में प्रतिनियुक्ति के लिए कोई सरकारी आदेश जारी नहीं किया गया था। इस गंभीर त्रुटि को संज्ञान में लेते हुए अदालत ने उनके तत्काल स्थानांतरण का आदेश दिया और नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत सभी अधिकारियों की सूची प्रस्तुत करने को कहा।

61 अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची प्रस्तुत किए जाने पर, अदालत ने उनकी नियुक्तियों को “अवैध” करार दिया और उन्हें मूल विभागों में वापस भेजने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए जो आवश्यक शैक्षिक योग्यताओं के बिना पदस्थ किए गए थे।
अदालत ने नगर प्रशासन को फटकार लगाते हुए पूछा कि रिक्त पदों को नियमित भर्ती प्रक्रिया से भरने के बजाय प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी क्यों लाए जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, अदालत ने GMC आयुक्त संघ प्रिया को आदेश पालन में नोटिस जारी करने के निर्देश दिए और मामले में अतिरिक्त आयुक्त अनिल कुमार दुबे द्वारा दिया गया एक झूठा हलफनामा भी संज्ञान में लिया। दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही फिलहाल स्थगित कर दी गई है और इसे अलग से विचारार्थ रखा गया है।