गुरुग्राम जिला बार एसोसिएशन ने जिला न्यायालय परिसर में पेशेवर मर्यादा बनाए रखने और पहचान की गलतफहमी को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गैर-अधिवक्ताओं द्वारा वकीलों जैसी पोशाक पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस निर्देश का उल्लंघन करने पर ₹5,000 का जुर्माना और आगे की कार्रवाई हो सकती है।
5 जून को पारित प्रस्ताव में बार एसोसिएशन ने कहा कि केवल नामांकित अधिवक्ताओं और विधिवत पंजीकृत विधि प्रशिक्षुओं को ही सफेद शर्ट और काली पैंट—जो कि अधिवक्ताओं की पारंपरिक पोशाक मानी जाती है—पहनने की अनुमति होगी।
प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया कि कई ऐसे लोग जो न तो अधिवक्ता हैं और न ही अधिकृत कानून प्रशिक्षु, वे अदालत परिसर में वकीलों जैसी पोशाक में घूमते देखे गए हैं, जिससे अदालत की मर्यादा भंग होती है और भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।
बार एसोसिएशन ने यह स्पष्ट किया है कि अब किसी भी क्लर्क, दलाल, वादी या आम नागरिक को सफेद शर्ट और काली पैंट या वकीलों से मिलती-जुलती कोई पोशाक पहनकर न्यायालय परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस नियम का सख्ती से पालन कराने के लिए बार एसोसिएशन ने न्यायालय प्रशासन और सुरक्षा कर्मचारियों के साथ समन्वय करने का निर्णय लिया है। नियम तोड़ने वालों पर ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाएगा और आवश्यकतानुसार आगे की कार्रवाई भी की जा सकती है।
बार एसोसिएशन के सचिव राहुल धनखड़ ने कहा कि यह कदम दलालों द्वारा वादियों को ठगने से रोकने के लिए उठाया गया है। उन्होंने बताया, “सोमवार को कई कथित दलालों को सर्जिकल कोट पहने हुए पाया गया, जिन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। इसी सप्ताह दो व्यक्ति वकील बनकर कोर्ट रूम में घुस गए थे। ऐसी कई शिकायतें लगातार मिल रही थीं। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी वादी धोखाधड़ी का शिकार न हो।”
बार का यह प्रस्ताव इस बात पर जोर देता है कि वकीलों की पहचान, गरिमा और अनुशासन को बनाए रखा जाए और उनकी पोशाक से जुड़े विश्वास एवं विशेषाधिकारों का दुरुपयोग न होने पाए।