भारत के सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC)/सिविल जजों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह रोक इसलिए लगाई गई है क्योंकि इस भर्ती के लिए न्यूनतम वकालत अनुभव की कोई अनिवार्य शर्त नहीं रखी गई थी, जबकि इस मुद्दे पर पहले से ही शीर्ष अदालत में एक मामला विचाराधीन है।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि जब इस विषय पर अदालत में पहले से मामला लंबित है, तो भर्ती प्रक्रिया को इतनी जल्दबाजी में आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस मामले का फैसला सीधे न्यायिक मजिस्ट्रेट-सह-सिविल जज के लिए निर्धारित योग्यता पर प्रभाव डालेगा।
यह विवाद गुजरात हाई कोर्ट द्वारा जारी एक विज्ञापन से उत्पन्न हुआ, जिसमें इन पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे, लेकिन उम्मीदवारों के लिए किसी भी न्यूनतम वकालत अनुभव की शर्त नहीं रखी गई थी। इस बात को लेकर न्यायिक नियुक्तियों के मानकों पर सवाल उठाए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से रोक दिया गया है। इसके साथ ही, इस महीने प्रस्तावित प्रारंभिक परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है। अदालत ने गुजरात हाई कोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
यह फैसला दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट न्यायिक पदों के लिए निर्धारित मानकों और पात्रता शर्तों की सख्ती से समीक्षा कर रहा है, जिससे भविष्य में जजों की नियुक्तियों को लेकर एक नया दिशा-निर्देश तय हो सकता है।