गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम को चिकित्सीय आधार पर अंतिम बार एक माह की अंतरिम ज़मानत दी

गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को स्वयंभू धर्मगुरु और बलात्कार के दोषी आसाराम की अंतरिम ज़मानत एक महीने के लिए बढ़ा दी, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि यह “अंतिम विस्तार” होगा।

न्यायमूर्ति ईलेश वोरा और न्यायमूर्ति पी.एम. रावल की खंडपीठ ने यह आदेश आसाराम की चिकित्सीय आधार पर ज़मानत विस्तार की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। 86 वर्षीय आसाराम 2013 के बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। उन्हें पहले सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिली थी, जो 31 मार्च को समाप्त हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आगे की राहत के लिए गुजरात हाईकोर्ट का रुख करने को कहा था।

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प्रारंभिक आवेदन पर हाईकोर्ट की खंडपीठ में मतभेद के चलते मामला तीसरे न्यायाधीश को भेजा गया था, जिन्होंने उन्हें तीन महीने की अस्थायी ज़मानत दी थी। यह राहत 30 जून को समाप्त होनी थी, जिसे देखते हुए अदालत ने 7 जुलाई तक की अंतरिम अवधि के लिए ज़मानत का विस्तार किया था।

गुरुवार को हुई सुनवाई में आसाराम के वकील ने ज़मानत अवधि तीन महीने और बढ़ाने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने केवल एक महीने का अंतिम विस्तार मंजूर किया और स्पष्ट कर दिया कि अब कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।

आसाराम दो मामलों में उम्रकैद की सज़ा काट रहे हैं — एक जनवरी 2023 में गांधीनगर की अदालत द्वारा सुनाई गई, जिसमें उन्हें 2001 से 2006 के बीच सूरत की एक महिला शिष्या से बार-बार बलात्कार करने का दोषी पाया गया था; और दूसरा 2018 में राजस्थान की अदालत द्वारा नाबालिग लड़की से 2013 में जोधपुर आश्रम में बलात्कार करने के मामले में।

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गुजरात मामले में उन्हें भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया है, जिनमें 376(2)(C) (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन कृत्य), 342 (ग़लत तरीके से बंधक बनाना), 354, 357 और 506 (आपराधिक धमकी) शामिल हैं।

उम्र और स्वास्थ्य संबंधी दावों के बावजूद, हाईकोर्ट ने अब यह संकेत दे दिया है कि उनकी ज़मानत अवधि अब और नहीं बढ़ाई जाएगी

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