बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को संकेत दिए कि वह एल्गार परिषद–माओवादी लिंक मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को मुकदमे की शुरुआत तक दिल्ली स्थित अपने घर में रहने की अनुमति दे सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह लगे कि नवलखा के फरार होने का कोई जोखिम है।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की पीठ ने कहा कि नवलखा अब तक किसी भी स्तर पर कानून से भागने की कोशिश नहीं करते दिखे हैं। अदालत ने यह भी नोट किया कि वह मुंबई में रहने को मजबूर महसूस कर रहे हैं और अपने सामाजिक जीवन से पूरी तरह कट गए हैं।
गौतम नवलखा को वर्ष 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, लेकिन शर्त रखी गई थी कि वह ट्रायल कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना मुंबई नहीं छोड़ेंगे। इसके बाद नवलखा ने विशेष एनआईए अदालत में दिल्ली में रहने की अनुमति मांगी थी, यह कहते हुए कि दिल्ली उनका गृह नगर है। एनआईए अदालत द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान नवलखा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी ने अदालत को बताया कि 73 वर्षीय नवलखा जमानत मिलने के बाद से मुंबई में किराए के मकान में रह रहे हैं और लंबे समय तक ऐसा करना उनके लिए आर्थिक रूप से संभव नहीं है, खासकर जब मुकदमे की सुनवाई अब तक शुरू ही नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यदि यह स्थिति बनी रही तो नवलखा दिवालिया होने की कगार पर पहुंच सकते हैं।
चौधरी ने यह भी भरोसा दिलाया कि नवलखा ट्रायल कोर्ट के हर निर्देश का पालन करेंगे और जब भी अदालत या अभियोजन की ओर से कहा जाएगा, वह व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे। उन्होंने यह सुझाव भी रखा कि यदि आवश्यक हो तो नवलखा दिल्ली स्थित एनआईए कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, पीठ ने साफ किया कि वह दिल्ली से ट्रायल चलाने की अनुमति नहीं दे रही है, लेकिन ट्रायल शुरू होने तक नवलखा को दिल्ली स्थानांतरित होने की अनुमति देने के पक्ष में है। अदालत ने कहा, “हम याचिका में बताए गए कारणों से संतुष्ट हैं और ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह लगे कि आवेदक फरार होने वाला है।”
न्यायमूर्ति डांगरे ने नवलखा की उम्र और परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भले ही वह जमानत पर बाहर हैं, लेकिन अपने घर और सामाजिक दायरे से दूर रहने से उन्हें गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अनुमति कानून से बचने का रास्ता नहीं है।
पीठ ने एनआईए को यह बताने की छूट दी कि यदि नवलखा को दिल्ली जाने की अनुमति दी जाती है तो उस पर कौन-कौन सी शर्तें लगाई जा सकती हैं। मामले की आगे सुनवाई बुधवार को होगी।
एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम से जुड़ा है, जहां कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे। इसके बाद अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई, जिसमें जान-माल का नुकसान हुआ और महाराष्ट्र भर में तनाव फैल गया। एनआईए का आरोप है कि नवलखा प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के नेताओं के निर्देश पर माओवादी विचारधारा का प्रचार कर रहे थे और साजिश के सह-आरोपी थे।
शुरुआत में इस मामले की जांच पुणे पुलिस ने 2018 में की थी, जिसे बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया। अब तक इस मामले में 16 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद भी शामिल हैं।

