गौहाटी हाईकोर्ट ने ‘घोषित विदेशी’ मामलों में असम सरकार को नोटिस जारी किया, गिरफ्तारी और संभावित अवैध निष्कासन पर जवाब तलब

गौहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को असम सरकार को नोटिस जारी कर 25 मई से लापता दो भाइयों — अबू बकर सिद्दीक और अकबर अली — के ठिकाने की जानकारी मांगी है। दोनों को विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunal) द्वारा “घोषित विदेशी” घोषित किया गया था। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए, उन्हें बांग्लादेश भेजे जाने का खतरा है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराणा और न्यायमूर्ति मालासरी नंदी की खंडपीठ ने यह निर्देश उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया जो दोनों व्यक्तियों के भतीजे तोरप अली ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने आशंका जताई कि उनके चाचा को “अवैध रूप से बांग्लादेश में धकेला” जा सकता है।

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याचिका में कहा गया है कि 25 मई को नगरबेरा थाना (जिला कामरूप) में बुलाने के बाद से पुलिस ने परिवार को उनकी स्थिति या ठिकाने की कोई जानकारी नहीं दी है।

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राज्य की ओर से अधिवक्ता जे. पायेंग ने अदालत को बताया कि अबू बकर सिद्दीक और अकबर अली असम बॉर्डर पुलिस की हिरासत में हैं।

उल्लेखनीय है कि 2017 में दोनों भाइयों को विदेशी न्यायाधिकरण ने “घोषित विदेशी” करार दिया था क्योंकि वे यह साबित करने में असमर्थ रहे कि वे या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 की कट-ऑफ तारीख से पहले भारत में आए थे — जो कि असम समझौते (1985) के तहत निर्धारित है। दोनों को इसके बाद गोलपाड़ा डिटेंशन कैंप भेजा गया था, लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के आधार पर जमानत मिल गई थी, जिसमें कहा गया था कि दो साल से अधिक समय से हिरासत में रखे गए व्यक्तियों को जमानत पर छोड़ा जा सकता है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि दोनों व्यक्तियों को उपलब्ध कानूनी उपायों को अपनाने का पूरा अवसर नहीं दिया गया और ऐसी स्थिति में उन्हें देश से बाहर भेजना संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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बता दें कि विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunal) एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जिसे विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत 1964 के आदेश के अनुसार स्थापित किया गया है। ये न्यायाधिकरण विशेष रूप से असम में कार्यरत हैं और नागरिकता से जुड़े विवादों की जांच करते हैं, खासकर एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के संदर्भ में। वर्तमान में राज्य भर में 100 से अधिक विदेशी न्यायाधिकरण कार्यरत हैं।

कोर्ट द्वारा जारी यह नोटिस उन मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप का संकेत देता है जहां घोषित विदेशियों के साथ कथित रूप से मनमानी और अधिकारों के हनन की आशंका है। अगली सुनवाई 4 जून को होगी।

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