आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस रवि नाथ तिलहरी और जस्टिस चला गुना रंजन शामिल थे, ने 9 मई 2025 को एक निर्णय में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई निगम) के क्षेत्रीय निदेशक की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने गुन्टूर की श्रम अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें K.S.R. Cotton Mills Pvt. Ltd. को Employees’ State Insurance Act, 1948 की धारा 2(19A) के तहत एक मौसमी फैक्ट्री घोषित किया गया था, जिससे यह अधिनियम के दायरे से बाहर हो गई।
पृष्ठभूमि
यह अपील 29 मार्च 2007 को श्रम अदालत, गुन्टूर द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। K.S.R. Cotton Mills Pvt. Ltd. ने ईएसआई अधिनियम की धारा 75 के अंतर्गत याचिका (ESI O.P. No.7 of 1998) दायर की थी, जिसमें खुद को मौसमी फैक्ट्री घोषित करने का आग्रह किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह केवल 2-3 महीनों तक कार्यरत रहती है और मुख्य रूप से कपास की गिनिंग और प्रेसिंग का कार्य करती है, जो पूरी तरह मौसमी है।
ईएसआई निगम ने 15 अक्टूबर 1997 को याचिकाकर्ता को पत्र भेजकर अधिनियम के तहत फैक्ट्री घोषित किया और दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का नोटिस भी जारी किया।

श्रम अदालत का निर्णय
श्रम अदालत ने यह पाया कि फैक्ट्री का मुख्य कार्य कपास की गिनिंग और प्रेसिंग था, जो अधिनियम की धारा 2(19A) के तहत स्पष्ट रूप से एक मौसमी निर्माण प्रक्रिया है। अदालत ने यह भी पाया कि कार्यरत श्रमिकों की संख्या 10 से कम थी और कई श्रमिक अधिसूचित वेतन सीमा से अधिक कमा रहे थे, जिससे वे अधिनियम से स्वतः बाहर हो गए।
अपील में प्रस्तुत तर्क
अपीलकर्ता ईएसआई निगम ने तर्क दिया कि:
- फैक्ट्री केवल मौसमी नहीं है क्योंकि वह गिन्नड कॉटन की खरीद-फरोख्त जैसे व्यापारिक गतिविधियों में भी संलग्न है।
- 1989 के संशोधन के बाद, ईएसआई अधिनियम की धारा 1(6) के अनुसार, कर्मचारियों की संख्या अब प्रासंगिक नहीं रही।
उन्होंने Jayalakshmi Cotton & Oil Products, Delhi Gymkhana Club, और Radhika Theatre जैसे मामलों पर भरोसा किया।
हाईकोर्ट का विश्लेषण
कोर्ट ने दोनों तर्कों को खारिज कर दिया:
- मौसमी फैक्ट्री की परिभाषा पर:
कोर्ट ने Jayalakshmi Cotton मामले का हवाला देते हुए कहा कि अगर प्रमुख निर्माण प्रक्रिया कपास गिनिंग जैसी मौसमी हो, तो अन्य सहायक प्रक्रियाएं (जैसे बिक्री या बीज निष्कर्षण) फैक्ट्री की मौसमी प्रकृति को नहीं बदलती।
“केवल कपास लिंट की बिक्री करने से फैक्ट्री की मौसमी प्रकृति समाप्त नहीं हो जाती।”
- धारा 1(6) की व्याख्या पर:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह उपधारा केवल उन्हीं इकाइयों पर लागू होती है जो पहले से अधिनियम के अंतर्गत थीं और बाद में कर्मचारियों की संख्या घट गई हो।
“यदि ईएसआई अधिनियम पहले से लागू नहीं था, और पहली बार इसे लागू किया जा रहा हो, तो 10 से कम कर्मचारियों के होने पर अधिनियम लागू नहीं होगा।”
निर्णय
कोर्ट ने कहा कि श्रम अदालत का निर्णय विधिक रूप से उचित था और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
“उत्तरदाता नंबर 1 की फैक्ट्री एक मौसमी फैक्ट्री है और ईएसआई अधिनियम के दायरे से बाहर है।”
तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई और कोई महत्वपूर्ण विधिक प्रश्न नहीं पाया गया।
मामले का शीर्षक: The Regional Director, ESI Corporation बनाम K.S.R. Cotton Mills Pvt. Ltd. एवं अन्य
मामला संख्या: सिविल मिक्सड अपील संख्या 498/2008