केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए और इस कारण से सैन्य संस्थानों से बाहर किए गए कैडेट्स को अब पूर्व सैनिक योगदान आधारित स्वास्थ्य योजना (ECHS) के तहत चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि 29 अगस्त से सभी ऐसे कैडेट्स को ईसीएचएस योजना में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों के लिए सामान्यतः देय ₹1.20 लाख की एकमुश्त सदस्यता शुल्क इन कैडेट्स से नहीं लिया जाएगा।
पीठ ने इस पर संतोष व्यक्त करते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि पात्र कैडेट्स का पंजीकरण 15 सितम्बर तक पूरा किया जाए। साथ ही, वरिष्ठ अधिवक्ता रेखा पल्लि को इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया। अदालत ने कहा, “हम सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया की सराहना करते हैं कि ईसीएचएस योजना के माध्यम से चिकित्सा सुविधा दिव्यांग कैडेट्स तक बढ़ाई गई है। योजना का विवरण अभिलेख पर प्रस्तुत किया जाए।”

अदालत ने कहा कि 2017 से तय की गई एक्स-ग्रेशिया (अनुग्रह राशि) को महंगाई को देखते हुए बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। पीठ ने मौजूदा बीमा कवर की अपर्याप्तता पर भी सवाल उठाते हुए इसे मजबूत करने का सुझाव दिया।
इसके अलावा, अदालत ने दिव्यांग कैडेट्स का पुनर्मूल्यांकन कर उन्हें पुनर्वास और उपयुक्त रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर दिया। पीठ ने कहा, “ये शिक्षित लोग हैं, जिन्होंने कठिन प्रवेश परीक्षा पास की है। इन्हें भले ही पूर्व सैनिक का दर्जा न मिले, लेकिन इन्हें डेस्क जॉब जैसी नौकरियां दी जा सकती हैं।”
भाटी ने अदालत को बताया कि मृत्यु की स्थिति में परिवार को ₹12.5 लाख की एकमुश्त राशि और ₹9,000 प्रतिमाह दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कैडेट्स सेना, नौसेना और वायुसेना की बीमा योजनाओं के तहत आते हैं, जिनमें मासिक प्रीमियम लिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को स्वतः संज्ञान लेते हुए यह मामला उठाया था। एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) और इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) जैसे संस्थानों से प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए लगभग 500 कैडेट्स 1985 से अब तक बाहर किए जा चुके हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि केवल एनडीए से ही 2021 से जुलाई 2025 के बीच लगभग 20 कैडेट्स को मेडिकल आधार पर बाहर करना पड़ा।
नियमों के अनुसार ये कैडेट्स पूर्व सैनिक का दर्जा नहीं पाते, जिसके कारण वे ईसीएचएस सुविधा से वंचित थे। वर्तमान में इन्हें दिव्यांगता की गंभीरता के आधार पर अधिकतम ₹40,000 प्रतिमाह अनुग्रह राशि मिलती है, जो उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त बताई गई।
सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए मामला 7 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया है और केंद्र से ईसीएचएस योजना का विस्तृत ब्यौरा, साथ ही आर्थिक व बीमा लाभ बढ़ाने पर जवाब मांगा है।