दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के उस निर्देश में हस्तक्षेप नहीं करेगी, जिसके तहत खाद्य एवं पेय पदार्थ कंपनियों को अपने उत्पादों पर “ORS” शब्द के उपयोग से रोका गया है, जब तक वे मानक चिकित्सीय फार्मूले के अनुरूप न हों।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने डॉ. रेड्डीज़ लेबोरेट्रीज़ लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि “जनस्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाला जा सकता क्योंकि नागरिकों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है।”
“यह एक स्वास्थ्य खतरा है… मैं जो प्रस्ताव कर रहा हूं वह यह है कि यह प्रतिबंध जारी रहेगा। सार्वजनिक स्वास्थ्य के मद्देनज़र मैं इस पर कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा। यदि आप अपने मौजूदा उत्पादों पर दोबारा स्टिकर लगाना चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं और इसमें FSSAI को कोई आपत्ति नहीं है,”
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा।
 
डॉ. रेड्डीज़ लेबोरेट्रीज़ ने FSSAI के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत सभी कंपनियों को अपने उत्पादों या ब्रांडिंग में “ORS” शब्द के उपयोग की अनुमति वापस ले ली गई थी, जब तक कि वह उत्पाद WHO द्वारा अनुशंसित Oral Rehydration Solution (मौखिक पुनर्जलीकरण घोल) के मानक फार्मूले पर आधारित न हो।
FSSAI ने कहा था कि कई शर्करा युक्त या इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स “ORS” नाम का उपयोग कर उपभोक्ताओं, खासकर बच्चों, को भ्रमित कर रहे हैं और यह Food Safety and Standards Act, 2006 का उल्लंघन है।
कंपनी अपने Rebalanz VITORS नामक उत्पाद का निर्माण करती है, जिसे “ORS” श्रेणी में बाजार में उतारा गया था। याचिका में कंपनी ने पहले से निर्मित स्टॉक बेचने की अनुमति मांगी थी, यह कहते हुए कि उसने नए बैचों का निर्माण बंद कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि कंपनी अपने पुराने उत्पादों पर “ORS” शब्द हटाकर नया लेबल लगा सकती है और इसमें FSSAI को कोई आपत्ति नहीं है।
“जहां तक मौजूदा स्टॉक का प्रश्न है, मैं आपको FSSAI से संपर्क करने और अपनी कठिनाइयों को बताने की छूट देता हूं ताकि कोई मध्य मार्ग निकाला जा सके। लेकिन मैं ऐसा कोई आदेश नहीं दूंगा जो जनस्वास्थ्य के साथ समझौता करे—यह निर्णय FSSAI पर छोड़ा जाता है,”
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा।
कंपनी के वकील ने कहा कि वे अपने पास मौजूद स्टॉक पर नया स्टिकर लगाने के लिए तैयार हैं और यदि संभव हुआ तो वितरकों से वापस मंगा कर भी री-स्टिकरिंग करेंगे।
FSSAI के वकील ने कंपनी की उस मांग का विरोध किया जिसमें उसने “Rebalanz VITORS” ब्रांड वाले मौजूदा स्टॉक को बेचने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की ब्रांडिंग से उपभोक्ताओं को भ्रम हो सकता है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
न्यायालय ने दोहराया कि “जनस्वास्थ्य की प्राथमिकता सर्वोपरि है” और कहा कि अदालत ऐसा कोई आदेश पारित नहीं कर सकती जो FSSAI के सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी विचारों के विपरीत हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वह FSSAI को निर्देश देगी कि वह डॉ. रेड्डीज़ की याचिका पर निर्णय लेने के लिए एक निश्चित समयसीमा तय करे।


 
                                     
 
        



