दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम को बड़ी राहत देते हुए आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में लगाई गई जमानत शर्तों में संशोधन किया। अदालत ने विदेश यात्रा से पहले ट्रायल कोर्ट से अनुमति लेने की अनिवार्यता को हटा दिया है।
न्यायमूर्ति रविंद्र दुदेजा ने कहा कि अब कार्ति को विदेश जाने से पहले केवल ट्रायल कोर्ट और जांच एजेंसी को दो सप्ताह पहले अग्रिम सूचना देनी होगी। इसके अलावा, उन्हें अपनी पूरी यात्रा योजना (इटिनरेरी) अदालत में जमा करनी होगी।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि कांग्रेस नेता नियमित रूप से ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में उपस्थित रहें और मुकदमे में अनावश्यक देरी करने का कोई प्रयास न करें।
“अदालत को आवेदन में दम नजर आता है, इसलिए इसे स्वीकार किया जाता है,” न्यायमूर्ति दुदेजा ने आदेश में कहा।

सीबीआई ने इस आवेदन का विरोध किया और फरार व्यापारी व पूर्व राज्यसभा सांसद विजय माल्या का उदाहरण दिया। 2018 में एक ट्रायल कोर्ट ने माल्या को फेरा उल्लंघन मामले में सम्मन से बचने पर घोषित अपराधी (प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर) करार दिया था और उसके खिलाफ ओपन-एंडेड नॉन-बेलेबल वारंट जारी किए थे।
कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा तथा अधिवक्ता अर्शदीप सिंह और अक्षत गुप्ता ने पेशी की। उन्होंने तर्क दिया कि कार्ति संसद सदस्य हैं और फरार होने का कोई खतरा नहीं है।
मार्च 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में जमानत दी थी, जिसमें एक शर्त यह थी कि विदेश यात्रा से पहले उन्हें ट्रायल कोर्ट की अनुमति लेनी होगी।
सीबीआई ने 15 मई 2017 को यह मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि 2007 में आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपये की विदेशी निवेश स्वीकृति देने में अनियमितताएं हुई थीं। उस समय कार्ति के पिता पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया।