दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिसकर्मी महिलाओं के साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार करने के लिए बाध्य हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की अनुचित या असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने यह टिप्पणी एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें यह मांग की गई थी कि सभी पुलिस थानों में यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश बनाए जाएं कि पुलिस अधिकारी महिलाओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और अभद्र भाषा का प्रयोग न करें।
अदालत ने ऐसी किसी नई गाइडलाइन को जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह सिद्धांत पहले से ही स्थापित है और अलग से किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है।
न्यायमूर्ति नरूला ने कहा, “अदालत को ऐसे किसी दिशा-निर्देश को तैयार करने का कोई कारण नहीं दिखता। यह निर्विवाद है कि पुलिस अधिकारी महिलाओं के साथ गरिमा से पेश आने और अनुचित या असंसदीय भाषा का प्रयोग न करने के लिए बाध्य हैं। इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा की गई प्रार्थना भ्रांतिपूर्ण है।”
याचिकाकर्ता ठोप्पानी संजीव राव ने यह भी शिकायत की थी कि उनकी शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा पुलिस को चार हफ्तों में कार्रवाई करने के निर्देश देने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।
इस पर अदालत ने कहा कि अगर आयोग के निर्देशों का पालन नहीं हुआ है, तो याचिकाकर्ता आयोग के समक्ष फिर से आवेदन देकर आवश्यक कार्रवाई की मांग कर सकती हैं। अदालत ने कहा, “यदि पहले दिए गए निर्देशों का पालन नहीं हुआ है, तो आयोग के पास स्वतः संज्ञान लेकर मामले की जांच करने की शक्ति है। इस उद्देश्य से याचिकाकर्ता उपयुक्त आवेदन देकर आयोग का ध्यान इस ओर आकर्षित कर सकती हैं।”
इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया और कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों से यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि वे अपने व्यवहार में शालीनता और सम्मान बनाए रखें, खासकर जब वे महिलाओं से संबंधित मामलों से निपट रहे हों।




