दिल्ली हाईकोर्ट का डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोन से संबंधित एक जनहित याचिका को लेकर सख्ती दिखाते हुए केंद्र व आरबीआई को नोटिस भेजा है। दाखिल याचिका में उल्लेख है कि लीडिंग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और एप्स जिस तरह से तत्काल लोन देने के लिए ऑनलाइन माध्यम का प्रयोग कर रहे हैं। उस पर नकेल कसने के लिए रेगुलेशन और गाइडलाइन आरबीआई द्वारा जारी किया जाना चाहिए।
इसमे से ज्यादातर ऑनलाइन डिजिटल बिजनेस मोबाइल एप्प के माध्यम से होता है। जिसमे मनमुताबिक ज्यादा दरों पर ब्याज वसूल किया जाता है। किसी व्यक्ति के लोन लेने के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म पैसों की रिकवरी के लिए ब्याज दाताओं को रिकवरी एजेंट के जरिये प्रताड़ित करवाते हैं।
जनहित याचिका में मांग की गई है एप्स के जरिये लोन लेने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ब्याज का प्रतिशत फिक्स होना चाहिए। जिससे ब्याज लेने वाले लोगों पर उत्पीड़न को रोका जा सके। और साथ ही ब्याज वाले लोगों की परेशानी को सुनने और उसके निस्तारण करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक ग्रीवेंस रिड्रेसल यूनिट बनाई जानी चाहिए। जिस पर ब्याज लेने वाले अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कर सके।
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अभी जल्द में आरबीआई ने 23 दिसम्बर को एक सर्कुलर जारी किया था। जिसमे अवैध रूप से संचालित हो रहे ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म को लेकर आम जनमानस से सतर्क व सावधान रहने को कहा गया था। लेकिन आरबीआई की तरफ से लोन और उसके बाद ब्याज दाताओं को होने वाली परेशानी के लिए कोई दिशानिर्देश नही है। जिसका ऑनलाइन प्लेटफार्म जम कर फायदा उठा रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मामले में नोटिस जारी कर केंद्र व आरबीआई से 19 फरवरी से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है।