दिल्ली हाईकोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के लिए आतंकी गतिविधियों को वित्तपोषित करने के आरोपी जावेद अली को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने अपने फैसले में लंबी न्यायिक हिरासत और गवाहों की जांच में धीमी प्रगति को मुख्य कारक बताते हुए जमानत देने से इनकार करने के पिछले ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
नवंबर 2019 में गिरफ्तार किए गए जावेद अली पर सऊदी अरब से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में गुर्गों को फंड भेजने के आरोप लगे थे। इन फंडों का उद्देश्य कथित तौर पर भारत भर में टोही मिशनों को सुविधाजनक बनाना, आतंकवादियों की भर्ती करना और विदेशी नागरिकों और पर्यटकों सहित कमजोर लक्ष्यों की पहचान करना था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दावा किया कि अली प्रतिबंधित आतंकी समूह LeT से जुड़ा था और हवाला चैनलों के माध्यम से वित्तीय लेनदेन के प्रबंधन में सहायता करता था।
इन गंभीर आरोपों के बावजूद, दिल्ली हाईकोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष द्वारा सूचीबद्ध 221 गवाहों में से, अली की तीन साल पहले से शुरू हुई कैद के बाद से केवल नौ की ही जांच की गई है। अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि केवल एक विफल वित्तीय लेनदेन को सीधे अली से जोड़ा जा सकता है, आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण में उसकी प्रत्यक्ष भागीदारी को प्रमाणित करने के लिए कोई और सबूत नहीं है।