याचिकाकर्ता ने कहा- ‘मैंने केस नहीं किया’; दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों के खिलाफ BCI जांच और पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालती प्रक्रिया के दुरुपयोग और फर्जीवाड़े के एक गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस को एफआईआर (FIR) दर्ज करने और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को संबंधित अधिवक्ताओं के आचरण की जांच करने का निर्देश दिया है। यह आदेश तब आया जब यह खुलासा हुआ कि एक रिट याचिका फर्जी दस्तावेजों के आधार पर और कथित याचिकाकर्ता की जानकारी के बिना दायर की गई थी।

जस्टिस मिनी पुष्करणा की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की कि “न्यायिक प्रक्रिया को उत्पीड़न या दुरुपयोग का साधन नहीं बनने दिया जा सकता।” कोर्ट ने पुलिस उपायुक्त (DCP), दक्षिण-पूर्व को मामले में एफआईआर दर्ज करने और आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने मामले में शामिल वकीलों, सुश्री अवंतिका और श्री सूरज सिंह की भूमिका की जांच के लिए मामला बीसीआई को भेज दिया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला अदिति शिवचरण राठौड़ बनाम दिल्ली नगर निगम व अन्य नामक एक रिट याचिका से जुड़ा है। याचिका में जाकिर नगर, जामिया नगर, नई दिल्ली में स्थित एक संपत्ति पर प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा किए जा रहे कथित अवैध और अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।

सुनवाई के दौरान, प्रतिवादी के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के नाम का उपयोग करके उनकी अनुमति के बिना यह याचिका दायर की गई है। कोर्ट को सूचित किया गया कि एक ही वकील के माध्यम से, समान दस्तावेजों का उपयोग करके और अलग-अलग नामों से कई याचिकाएं दायर की जा रही हैं।

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इस संदर्भ में 20 अगस्त, 2025 के एक अन्य आदेश का भी हवाला दिया गया, जिसमें इसी याचिकाकर्ता (अदिति शिवचरण राठौड़) के नाम पर एक अन्य संपत्ति का मालिकाना हक जताते हुए फर्जी दस्तावेजों (जैसे जीपीए और एग्रीमेंट टू सेल) के आधार पर याचिका दायर की गई थी।

पुलिस जांच और स्टेटस रिपोर्ट में खुलासा

इन तथ्यों के सामने आने के बाद, हाईकोर्ट ने पहले डीसीपी (दक्षिण-पूर्व) को यह जांच करने का निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता द्वारा विभिन्न संपत्तियों का मालिक होने का दावा करते हुए अलग-अलग याचिकाएं कैसे दायर की जा रही हैं।

10 दिसंबर, 2025 को पुलिस द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पुलिस ने कथित याचिकाकर्ता अदिति शिवचरण राठौड़ को खोज निकाला और उनसे पूछताछ की। स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार:

  • सुश्री राठौड़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने “रिट याचिका डब्ल्यूपी (सिविल) 6974/2025 दायर नहीं की है।”
  • उन्होंने दिल्ली में कोई भी संपत्ति खरीदने या अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कोई याचिका दायर करने से साफ इनकार किया।
  • याचिका के साथ संलग्न संपत्ति के दस्तावेजों पर अपने हस्ताक्षर होने से भी उन्होंने इनकार किया।
  • उन्होंने पुलिस को बताया कि “कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने उनकी आधार आईडी का दुरुपयोग किया है और उनके नाम पर फर्जी संपत्ति दस्तावेज तैयार करके दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।”
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पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि संपत्ति के दस्तावेजों में जिन गवाहों और निष्पादकों का जिक्र था, उनमें से कोई भी नहीं मिला।

वकीलों की भूमिका पर पुलिस रिपोर्ट में कहा गया कि याचिकाकर्ता की वकील सुश्री अवंतिका को डिफेंस कॉलोनी के पते पर ट्रेस किया गया। उन्होंने पुलिस को बताया कि यह मामले उन्हें ‘श्री सूरज सिंह’ नामक एक वकील द्वारा भेजे गए थे, जिनसे वह दिल्ली हाईकोर्ट में मिली थीं। हालांकि, पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, उस वकील का मोबाइल नंबर मौजूद नहीं है और अब तक सूरज सिंह का कोई सुराग नहीं मिला है।

कोर्ट की टिप्पणी और विश्लेषण

जस्टिस पुष्करणा ने पुलिस रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि यह स्पष्ट है कि अज्ञात व्यक्तियों द्वारा सुश्री राठौड़ के आधार कार्ड का दुरुपयोग करके फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए हैं।

अदालत ने कानूनी पेशेवरों की संलिप्तता पर गंभीर चिंता व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले भगवान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य (2025) का हवाला देते हुए, कोर्ट ने कहा:

“अदालती कार्यवाही में झूठे दस्तावेजों को असली बताकर इस्तेमाल करना और झूठे दस्तावेज बनाना… भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय अपराध हैं। यह न केवल उस व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी है जिसे फंसाया जा रहा है, बल्कि यह अदालत के साथ भी धोखाधड़ी है।”

कोर्ट ने दोहराया कि किसी भी अदालत को धोखाधड़ी का साधन बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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कोर्ट का निर्णय और निर्देश

गंभीर खुलासों को देखते हुए, हाईकोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

  1. पुलिस कार्रवाई: पुलिस को जांच जारी रखने और कानून के अनुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें “एफआईआर (FIR) दर्ज करना और उसके बाद की उचित कार्यवाही शामिल है।”
  2. बार काउंसिल जांच: कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया कि वह वकीलों, यानी सुश्री अवंतिका और श्री सूरज सिंह की भूमिका की जांच करे और उचित कार्रवाई करे। बीसीआई को श्री सूरज सिंह का पता लगाने का भी निर्देश दिया गया है।
  3. एमसीडी को निर्देश: प्रश्नगत संपत्ति के संबंध में, एमसीडी को अपीलीय न्यायाधिकरण एमसीडी (ATMCD) द्वारा पारित किसी भी आदेश के अधीन उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। यह नोट किया गया कि ATMCD द्वारा प्रतिवादी के पक्ष में पहले ही स्टे दिया जा चुका है।

इन निर्देशों के साथ कोर्ट ने रिट याचिका और लंबित आवेदनों का निपटारा कर दिया।

केस डिटेल्स:

  • केस का शीर्षक: अदिति शिवचरण राठौड़ बनाम दिल्ली नगर निगम व अन्य
  • केस नंबर: W.P.(C) 6974/2025
  • कोरम: जस्टिस मिनी पुष्करणा

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