गंभीर प्रदूषण के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने वकीलों को हाइब्रिड सुनवाई अपनाने की सलाह दी

राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को वकीलों और पक्षकारों को उनके मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाइब्रिड मोड में पेश होने की सलाह दी।

सोमवार को दिल्ली घने स्मॉग की चादर में ढकी रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 498 तक पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी के उच्च स्तर में आता है। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी एक परिपत्र में कहा गया कि मौजूदा मौसम परिस्थितियों को देखते हुए, यदि सुविधाजनक हो, तो बार के सदस्य और पक्षकार अपने-अपने मामलों में हाइब्रिड मोड के माध्यम से पेश हो सकते हैं।

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वर्तमान में दिल्ली हाई कोर्ट हाइब्रिड प्रणाली के तहत कार्य कर रहा है, जिसमें न्यायिक कार्यवाही भौतिक और वर्चुअल दोनों माध्यमों से होती है।

दिल्ली हाई कोर्ट की यह सलाह ऐसे समय आई है, जब एक दिन पहले ही मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध मामलों के संबंध में भी वकीलों और पक्षकारों को हाइब्रिड मोड अपनाने की सलाह दी थी। रविवार को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा जारी एक परिपत्र में कहा गया था कि मौजूदा मौसम परिस्थितियों को देखते हुए, जहां संभव हो, वहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाइब्रिड मोड का उपयोग किया जाए।

वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को दिल्ली के 38 स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई, जबकि दो स्टेशनों पर यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। जहांगीरपुरी में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई, जहां AQI 498 रहा, जो शहर के 40 निगरानी स्टेशनों में सबसे अधिक था।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, AQI 0 से 50 के बीच होने पर ‘अच्छा’, 51 से 100 ‘संतोषजनक’, 101 से 200 ‘मध्यम’, 201 से 300 ‘खराब’, 301 से 400 ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच होने पर ‘गंभीर’ माना जाता है।

रविवार को दिल्ली का AQI 461 तक पहुंच गया था, जो इस सर्दी का अब तक का सबसे प्रदूषित दिन रहा और दिसंबर महीने में दर्ज की गई दूसरी सबसे खराब वायु गुणवत्ता थी। कमजोर हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषक तत्व जमीन के पास ही फंसे रहे।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की जहरीली हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन या हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए।

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