दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साकेत गोखले को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने अदालत के पूर्व आदेशों का पालन नहीं किया तो उन्हें सिविल डिटेंशन (नागरिक हिरासत) में भेजा जा सकता है। यह चेतावनी गोखले द्वारा पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी से माफी मांगने में विफल रहने पर दी गई है।
न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा ने सख्त रुख अपनाते हुए मौखिक रूप से कहा, “मेरे अनुसार, उन्हें जेल जाना चाहिए। अगर आपने माफी प्रकाशित नहीं की तो हम आपको सिविल डिटेंशन में भेजेंगे।” उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि गोखले “अदालत और इसकी सोच का मजाक उड़ा रहे हैं।”
मामला क्या है?
1 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट ने गोखले को पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाने के लिए ₹50 लाख का हर्जाना अदा करने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आदेश दिया था। साथ ही उन्हें सोशल मीडिया या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर पुरी के खिलाफ कोई भी नया बयान देने से भी रोका गया था।
हालांकि, आदेश के पालन में विफल रहने पर पुरी ने अदालत की अवमानना याचिका दायर की। 9 मई 2025 को कोर्ट ने गोखले को आदेश दिया कि वे माफी अपनी X (पूर्व में ट्विटर) प्रोफाइल और एक प्रमुख समाचार पत्र में दो सप्ताह के भीतर प्रकाशित करें। यह समयसीमा 23 मई को समाप्त हो गई लेकिन गोखले ने कोई माफी नहीं प्रकाशित की।
अदालत की प्रतिक्रिया
बुधवार को अदालत को सूचित किया गया कि आदेश की निर्धारित समयसीमा समाप्त हो चुकी है और अब तक माफी नहीं दी गई है। गोखले के वकील ने कहा कि उन्हें आदेश का पालन न करने के कारणों की कोई जानकारी नहीं है और अभी तक कोई अपील भी दायर नहीं की गई है।
इस पर अदालत ने आदेश में लिखा, “ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी जानबूझकर अदालत की अवमानना कर रहा है।” अदालत ने उन्हें सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 21 के सिद्धांतों के तहत सिविल डिटेंशन में भेजे जाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। गोखले के वकील ने कहा कि वे एक सप्ताह के भीतर नोटिस का उत्तर दाखिल करेंगे।
वेतन कुर्की की कार्रवाई
कोर्ट ने पहले ही गोखले के वेतन का हिस्सा कुर्क करने का आदेश दिया था, क्योंकि ₹50 लाख की क्षतिपूर्ति राशि जमा करने के लिए उन्होंने कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया। गोखले की ओर से कहा गया था कि उनकी कुल सैलरी ₹1.90 लाख है, लेकिन बुधवार को उनके वकील ने स्पष्ट किया कि मूल वेतन ₹1.24 लाख है और शेष भत्ते हैं।
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 60 के अनुसार, किसी निर्णय के क्रियान्वयन में पहले ₹1,000 और शेष का दो-तिहाई वेतन कुर्क किया जा सकता है।
राज्यसभा सचिवालय की ओर से अदालत को सूचित किया गया कि वे कुर्की आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट जल्द ही दाखिल करेंगे।
घटनाक्रम की समयरेखा
- 2021: लक्ष्मी पुरी ने गोखले के खिलाफ मानहानि याचिका दायर की।
- 1 जुलाई 2024: कोर्ट ने ₹50 लाख हर्जाने और माफी के आदेश दिए।
- 2 मई 2025: गोखले की पुनर्विचार याचिका और 180 दिनों की देरी को माफ करने की मांग खारिज हुई।
- 9 मई 2025: कोर्ट ने अंतिम बार दो सप्ताह की मोहलत दी।
- 23 मई 2025: समयसीमा समाप्त, कोई माफी नहीं दी गई।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 सितंबर 2025 को निर्धारित की गई है। यदि तब तक गोखले आदेश का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें सिविल डिटेंशन का सामना करना पड़ सकता है।