दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में यदि किसी परियोजना के तहत 50 या उससे अधिक पेड़ों की कटाई या प्रत्यारोपण की अनुमति दी जानी है, तो उसकी निगरानी अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकृत केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) करेगी।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने यह आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के 19 दिसंबर 2024 और 8 अप्रैल 2025 के निर्देशों के अनुसार अब CEC इस प्रक्रिया की निगरानी करेगी। यह आदेश दिल्ली सरकार की उस याचिका पर आया जिसमें हाईकोर्ट द्वारा Delhi Preservation of Trees Act के तहत अधिकारियों द्वारा दी गई अनुमतियों को लेकर पूर्व में जारी निर्देशों में संशोधन की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने कहा, “चूंकि अब सुप्रीम कोर्ट ने CEC को 50 या उससे अधिक पेड़ों की अनुमति की निगरानी का अधिकार दे दिया है, अतः इस अदालत की निगरानी की आवश्यकता नहीं है।” इसके साथ ही अदालत ने 31 अगस्त 2023, 14 सितंबर 2023 और 9 अगस्त 2024 के अपने पूर्ववर्ती आदेशों को आंशिक रूप से निरस्त या संशोधित कर दिया।
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि 50 से कम पेड़ों से संबंधित मामलों में तब तक अंतरिम व्यवस्था लागू रहेगी जब तक कि संबंधित विभाग कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार कर उसे लागू नहीं कर देते।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले हाईकोर्ट ने पाया था कि वन एवं वन्यजीव विभाग बार-बार Delhi Preservation of Trees Act के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा है, जिससे दिल्ली के पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ा। इसी के चलते अदालत ने अंतरिम व्यवस्था लागू की थी।
अदालत ने अपने अवलोकन में कहा, “इन अंतरिम आदेशों का उद्देश्य केवल यही था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पहले से संकटग्रस्त पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को और अधिक क्षति से बचाया जा सके।”
पूर्व में हाईकोर्ट ने सभी पेड़ काटने की अनुमतियों पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया था कि ऐसे सभी प्रस्ताव पहले अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं, क्योंकि संबंधित ट्री ऑफिसर्स कारण सहित आदेश पारित करने में विफल रहे थे। यह निर्देश अदालत की अवमानना याचिका के संदर्भ में पारित किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणविद् एम.सी. मेहता की 1985 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिसंबर 2024 में यह व्यवस्था दी थी कि 50 या उससे अधिक पेड़ों की कटाई की किसी भी अनुमति को CEC द्वारा स्वीकृत किया जाना अनिवार्य है। यहां तक कि यदि कोई ट्री ऑफिसर ऐसी अनुमति दे भी दे, तब भी उस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती जब तक कि CEC उसे मंजूरी न दे।
हाईकोर्ट का यह ताजा आदेश जिम्मेदारियों में एक संरचनात्मक परिवर्तन को दर्शाता है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि 50 से कम पेड़ों के मामलों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर उसकी निगरानी जारी रहेगी।