दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी की आपराधिक मानहानि मामले में बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख तय की है। यह सुनवाई रमानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता की अनुपलब्धता के कारण स्थगित की गई थी।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि तय करते हुए कहा, “इस मामले को 19 सितंबर को बहस के लिए सूचीबद्ध किया जाए,” जबकि अकबर के वकील ने जल्द से जल्द तारीख देने का अनुरोध किया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले को केवल एक आपराधिक मानहानि का मामला मानते हुए आगे बढ़ा रही है।
एम.जे. अकबर ने ट्रायल कोर्ट के 17 फरवरी 2021 के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें रमानी को यह कहते हुए बरी कर दिया गया था कि कोई भी महिला वर्षों बाद भी किसी भी मंच पर अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकती है। हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 में इस अपील की सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।

अपनी अपील में, अकबर ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने उनके मानहानि के मामले को गलत तरीके से यौन उत्पीड़न के संदर्भ में देखा और साक्ष्यों का समुचित मूल्यांकन नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “न्यायालय ने इस मामले को मानहानि की शिकायत के बजाय यौन उत्पीड़न की शिकायत के रूप में माना, जो कानूनी रूप से गलत है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ट्रायल कोर्ट ने उनकी प्रतिष्ठा पर टिप्पणी करते हुए आपराधिक न्यायशास्त्र के स्थापित सिद्धांतों की अनदेखी की। अकबर का कहना है कि रमानी के खिलाफ प्रस्तुत साक्ष्यों को सही ढंग से नहीं परखा गया।