दिल्ली हाई कोर्ट ने मायापुरी चौक स्थित काली माता मंदिर को हटाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा कि धार्मिक कमेटी ने इस मंदिर को हटाने का फैसला किया था, क्योंकि ये अनधिकृत था और ट्रैफिक की आवाजाही में बाधक बन रहा था।
कोर्ट ने कहा कि फोटो और स्केच से साफ है कि ये मंदिर सरकारी भूमि पर निर्मित किया गया था। पैदल चलने वालों के फुटपाथ और रोड का अतिक्रमण कर मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। ये मंदिर मेन रोड और सहायक रोड को जोड़ने वाले स्थान पर है, जिसकी वजह से सुगम आवाजाही के लिए बाधक है।
मंदिर के पुजारी दुर्गा मिश्रा ने याचिका दायर की थी। याचिका में धार्मिक कमेटी के फैसले और उसकी ओर से पीडब्ल्यूडी को अप्रैल में मंदिर को हटाने के लिए जारी किए गए नोटिस को निरस्त करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि ये मंदिर सार्वजनिक भूमि पर जरूर है, लेकिन इससे ट्रैफिक को कोई बाधा नहीं पहुंचती है।
कोर्ट ने कहा कि धार्मिक कमेटी ने इस बात पर गौर किया कि मंदिर अनधिकृत है और ट्रैफिक के लिए बाधक है। इसके बाद ही कमेटी ने मंदिर को हटाने का निर्देश दिया था। ऐसे में इस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई मतलब नहीं बनता है। कोर्ट ने कहा कि पीडब्ल्यूडी 20 मई के बाद मंदिर हटा सकती है। कोर्ट ने स्थानीय पुलिस को सहयोग करने का निर्देश दिया।