दिल्ली हाईकोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह के खातों की नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा प्रस्तावित ऑडिट पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि इस मामले में प्रथम दृष्टया सीएजी अधिनियम, 1971 की धारा 20 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने यह आदेश अजमेर स्थित अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया खुद्दाम ख्वाजा साहब सय्यदजादगान दरगाह शरीफ और एक अन्य पंजीकृत संस्था द्वारा दायर याचिकाओं पर पारित किया। अदालत ने 14 मई को दिए गए आदेश में कहा, “सीएजी के वकील ने सूचित किया है कि अब तक याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध ऑडिट की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है… अतः अंतरिम उपाय के रूप में, अगली सुनवाई तक सीएजी द्वारा 30 जनवरी, 2025 की अधिसूचना के तहत कोई भी अगली कार्रवाई नहीं की जाएगी।”
याचिकाकर्ताओं का आरोप – बिना सूचना के की गई छानबीन
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सीएजी अधिकारियों ने दरगाह कार्यालय में बिना किसी पूर्व सूचना या वैध आदेश के प्रवेश किया, जो न केवल सीएजी अधिनियम, बल्कि 1860 के सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम का भी उल्लंघन है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि धारा 20 के तहत यदि किसी स्वायत्त संस्था का ऑडिट किया जाना हो तो संबंधित मंत्रालय को पहले सीएजी को लिखित अनुरोध भेजना होता है, ऑडिट की शर्तों पर आपसी सहमति बनानी होती है, और फिर वह शर्तें संस्था को उपलब्ध कराकर प्रतिनिधित्व का अवसर देना होता है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति या राज्यपाल की पूर्व स्वीकृति भी अनिवार्य होती है।
सीएजी और केंद्र सरकार ने खारिज किए आरोप
सीएजी ने अदालत को बताया कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। मंत्रालय ने 14 मार्च, 2024 को याचिकाकर्ताओं को प्रस्तावित ऑडिट की जानकारी दी थी और आपत्तियाँ मांगने का अवसर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसे केंद्र सरकार ने 17 अक्टूबर, 2024 को खारिज कर दिया।
सीएजी ने यह भी कहा कि भारत के राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हो चुकी है और वित्त मंत्रालय द्वारा 30 जनवरी, 2025 को इसकी सूचना दी गई थी।
अगली सुनवाई 28 जुलाई को
अदालत ने सीएजी के तर्कों के बावजूद अंतरिम राहत देते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक ऑडिट की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी। अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की गई है।