दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेज़न के खिलाफ ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में ₹340 करोड़ के हर्जाने के आदेश पर रोक लगाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनी अमेज़न को “बेवर्ली हिल्स पोलो क्लब” (BHPC) ब्रांड के ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामले में एम्स्टर्डम स्थित परिधान कंपनी लाइफस्टाइल इक्विटीज़ को ₹340 करोड़ का हर्जाना देने का निर्देश दिया गया था।

मुख्य न्यायाधीश सी. हरि शंकर और न्यायमूर्ति अजय दीगपाल की खंडपीठ ने यह आदेश अमेज़न की उस अपील पर पारित किया जिसमें उसने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की 25 फरवरी की एकल पीठ के निर्णय को चुनौती दी थी। उस फैसले में न्यायमूर्ति सिंह ने अमेज़न को BHPC ट्रेडमार्क के “स्पष्ट उल्लंघन” का दोषी ठहराते हुए कहा था कि उसने अपनी इन-हाउस ब्रांड “SYMBOL” के अंतर्गत एक मिलते-जुलते घोड़े के लोगो का लाइसेंस क्लाउडटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया।

न्यायमूर्ति सिंह के 85 पन्नों के फैसले में कहा गया था कि SYMBOL ब्रांड का घोड़ा लोगो BHPC के लोगो से अत्यधिक मेल खाता है और केवल शब्द चिह्न का लाइसेंस देकर अमेज़न अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। फैसले में यह भी रेखांकित किया गया कि क्लाउडटेल की ब्रांडिंग और वितरण गतिविधियों पर अमेज़न का महत्वपूर्ण नियंत्रण था।

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हालांकि, अमेज़न की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं अरविंद निगम और नीरज किशन कौल ने तर्क दिया कि एकल पीठ का निर्णय एकतरफा (ex-parte) था और कंपनी को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि लाइफस्टाइल इक्विटीज़ की ओर से कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया था जिससे ट्रेडमार्क का दुरुपयोग साबित हो सके। अमेज़न का दावा है कि उसने केवल अपना ट्रेडमार्क लाइसेंस पर दिया था और कथित तौर पर उल्लंघन करने वाले उत्पादों के निर्माण में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।

वहीं, लाइफस्टाइल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव पचनंदा ने कहा कि अमेज़न को समन जारी किए गए थे और वह पूरी तरह से कार्यवाही से अवगत था। उन्होंने कहा कि अमेज़न ने स्वेच्छा से कार्यवाही में भाग नहीं लिया और अब यह नहीं कह सकता कि आदेश एकतरफा था। उन्होंने केवल सशर्त स्थगन देने की मांग की।

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने प्राथमिक कार्यवाही की प्रक्रिया पर चिंता जताई। न्यायमूर्ति शंकर ने टिप्पणी की, “यह एक बेहद विचित्र स्थिति है। पूरी कार्यवाही अमेज़न की गैर-मौजूदगी में हुई। यह पूरी तरह से एकतरफा ट्रायल था।”

पीठ ने यह भी कहा कि मामला वास्तव में प्रतिद्वंद्वी पक्षों के बीच नहीं चला क्योंकि अमेज़न शुरुआत से ही अनुपस्थित था। ₹340 करोड़ की डिक्री पर टिप्पणी करते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि एकल पीठ ने लाइफस्टाइल के पक्ष को “पूर्ण सत्य” मान लिया, जबकि उसे प्रतिपक्ष की दलीलों से परखा नहीं गया।

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अब अमेज़न की यह अपील 19 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

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