दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार और डिजिटल न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा अदाणी समूह से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट और रिपोर्ट्स हटाने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदाणी एंटरप्राइजेज के इस बयान पर गौर किया कि कंपनी अब 26 सितंबर दोपहर 12 बजे तक उपलब्ध सामग्री से आगे कोई और कंटेंट हटाने की मांग नहीं करेगी।
न्यायमूर्ति दत्ता ने स्पष्ट किया, “यह सहमति बनी है कि यदि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही कोई सामग्री हटा दी है, तो उसे दोबारा अपलोड नहीं किया जाएगा।” यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक ट्रायल कोर्ट अदाणी एंटरप्राइजेज द्वारा दायर मुख्य वाद पर निर्णय नहीं ले लेता।

कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील के उस बयान को भी दर्ज किया जिसमें कहा गया कि पत्रकारों और संगठनों से रिपोर्ट्स और वीडियो हटाने का पहले दिया गया निर्देश केवल सिविल कोर्ट के आदेश की सूचना था। वकील ने यह भी बताया कि सरकार ने बाद में संबंधित पक्षों को अदालत के उस आदेश की जानकारी दे दी थी जिसमें पहले के “गैग ऑर्डर” पर रोक लगा दी गई थी।
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “उपरोक्त समझ के मद्देनज़र, भारत सरकार याचिकाकर्ताओं को एक स्पष्टीकरण (करेजेंडम) जारी करेगी।”
इस समझौते के बाद हाईकोर्ट ने रविश कुमार और न्यूज़लॉन्ड्री की उन याचिकाओं का निस्तारण कर दिया जिनमें केंद्र के कथित निर्देश को चुनौती दी गई थी। अदालत के आदेश से यह सुनिश्चित हो गया है कि अदाणी एंटरप्राइजेज द्वारा दायर मानहानि वाद के निपटारे तक याचिकाकर्ताओं से नई सामग्री हटाने की मांग नहीं की जाएगी।