दिल्ली हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में टीएमसी सांसद साकेत गोखले की सील बंद माफीनामा याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मूर्देश्वर पुरी द्वारा दायर अवमानना याचिका के संबंध में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साकेत गोखले की सील बंद लिफाफे में पेश माफी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि गोखले ने आदेश का पालन करने में देरी की और इसे पूरा नहीं किया।

न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने 9 मई को पारित आदेश में निर्देश दिया कि गोखले आगामी दो सप्ताह के भीतर उसी मंच (X, पूर्व में ट्विटर) पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगे, जहां उन्होंने कथित मानहानिकारक बयान दिए थे, और साथ ही एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार में भी माफी प्रकाशित करें।

यह मामला पुरी द्वारा दायर उस अवमानना याचिका से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गोखले ने अदालत के 1 जुलाई 2024 के आदेश का पालन नहीं किया। उस आदेश में गोखले को पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम पर कोई और मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोका गया था, साथ ही उनसे माफी मांगने और ₹50 लाख का हर्जाना अदा करने का निर्देश दिया गया था।

सील बंद माफीनामा प्रस्ताव को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “कोई कारण नहीं है कि अदालत माफीनामा सील बंद लिफाफे में स्वीकार करे और फिर आदेश IX नियम 13 सीपीसी के तहत दायर अपील के परिणाम का इंतजार करे, जब और यदि वह अपील दायर और निस्तारित की जाती है।”

न्यायमूर्ति दयाल ने आगे कहा कि निर्धारित समय सीमा में कोई अपील दायर नहीं की गई और देरी से दायर याचिका पहले ही समकक्ष पीठ द्वारा खारिज कर दी गई थी। आदेश में कहा गया, “उत्तरदाता ने केवल समय खींचा, टालमटोल और देरी की, लेकिन अभी तक आदेश/डिक्री का पालन नहीं किया।”

अदालत ने गोखले की सार्वजनिक हैसियत पर टिप्पणी करते हुए कहा, “वे संसद सदस्य और समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, फिर भी जुलाई 2024 के आदेश का पालन करने से रोकने वाला कोई आदेश न होने के बावजूद 10 महीने से अधिक समय बीत चुके हैं।”

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इच्छाशक्ति से आदेश की अवहेलना के मुद्दे पर बाद में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विचार किया जाएगा।

यह मामला वर्ष 2021 में शुरू हुआ था जब संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव पुरी ने आरोप लगाया था कि गोखले ने जिनेवा में एक अपार्टमेंट से संबंधित उनके वित्तीय लेन-देन को लेकर बेबुनियाद आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया।

1 जुलाई 2024 के आदेश में गोखले को आठ सप्ताह में पुरी को ₹50 लाख का भुगतान करने और उनके X अकाउंट पर छह महीने तक माफीनामा प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया था।

बाद में गोखले ने आदेश को वापस लेने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे 2 मई 2025 को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि याचिका दाखिल करने में 180 दिनों से अधिक की देरी को स्वीकार नहीं किया जा सकता। इससे पहले, 24 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट की एक पीठ ने आदेश के पालन हेतु गोखले के सांसद वेतन का आंशिक कुर्की आदेश भी पारित किया था।

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पुरी ने गोखले पर अदालत के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने और न केवल उनके बल्कि न्यायपालिका के खिलाफ भी मानहानिकारक टिप्पणियां करने का आरोप लगाया है। उनके वकील ने तर्क दिया कि गोखले ने “बेहद गैरजिम्मेदारी” दिखाते हुए “बिना किसी प्रमाण के वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए”, जो अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा नेता हरदीप सिंह पुरी को भी निशाना बना रहे थे।

पुरी ने ₹5 करोड़ का अतिरिक्त हर्जाना पीएम केयर्स फंड में जमा कराने और मानहानिकारक पोस्ट हटाने की मांग भी की है।

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