दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 साल बाद दायर की गई अनुकंपा नियुक्ति की याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें एक व्यक्ति ने अपने पिता की मृत्यु के 30 साल बाद अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी की मांग की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुकंपा नियुक्ति केवल उस आपातकालीन आर्थिक संकट को दूर करने के लिए होती है जो किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के तुरंत बाद उसके परिवार पर आता है, और इसे दशकों बाद दावा नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने 30 जुलाई को पारित आदेश में याचिका खारिज करते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति न तो “स्थायी अधिकार” है और न ही “भर्ती का वैकल्पिक तरीका”। इसका उद्देश्य केवल उस कठिनाई को तत्काल राहत देना है जो परिवार के कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के कारण उत्पन्न होती है।

READ ALSO  CLAT के माध्यम से 5-वर्षीय कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश के डीयू के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका

मामले में याचिकाकर्ता के पिता विजय कुमार यादव, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे और सितंबर 1988 में ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। फरवरी 2000 में उनकी पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था, लेकिन आवश्यक योग्यता न होने के कारण उनका आवेदन खारिज कर दिया गया।

Video thumbnail

इसके लगभग 18 साल बाद, फरवरी 2018 में याचिकाकर्ता — जो अब बालिग हो चुका था और आवश्यक योग्यता प्राप्त कर चुका था — ने नए सिरे से आवेदन किया। हालांकि, जनवरी 2020 में उसका आवेदन भी खारिज कर दिया गया, जिसके खिलाफ यह याचिका दाखिल की गई थी।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के वकील कोई ऐसा नियम या कार्यकारी निर्देश प्रस्तुत नहीं कर सके, जो 18 साल बाद ऐसे दावे को मान्यता देता हो। कोर्ट ने कहा, “अनुकंपा नियुक्ति एक विशेष आपात स्थिति को ध्यान में रखकर दी जाती है, जो समय के साथ समाप्त हो जाती है। यह कोई ऐसा अधिकार नहीं है जो अनिश्चितकाल तक चलता रहे।”

READ ALSO  बांके बिहारी मंदिर में भीड़ प्रबंधन से संबंधित जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई स्थगित की

पीठ ने आगे कहा, “यह सिद्ध सिद्धांत है कि अनुकंपा नियुक्ति भर्ती का कोई वैकल्पिक तरीका नहीं है। संबंधित अधिकारियों को यह संतुष्टि होनी चाहिए कि मृतक कर्मचारी का परिवार तत्काल सहायता का वास्तविक पात्र है।”

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles