दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर दो याचिकाओं पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया। ये याचिकाएं कथित आबकारी नीति मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निचली अदालत के आदेशों को चुनौती देती हैं।
जस्टिस रवींद्र दुडेजा ने ईडी से छह सप्ताह में जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर तय की है।
केजरीवाल ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट का रुख किया है और दो आदेशों को चुनौती दी है:

- 17 सितंबर 2024 का सत्र न्यायालय का आदेश, जिसमें 7 मार्च 2024 को मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी समन के खिलाफ उनकी पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी गई थी।
- 20 दिसंबर 2024 का सत्र न्यायालय का आदेश, जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा 24 अक्टूबर 2024 को पारित उस आदेश को बरकरार रखा गया था जिसमें मामला किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की केजरीवाल की मांग को खारिज कर दिया गया था।
सुनवाई की शुरुआत में ही ईडी के वकील ने याचिकाओं की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताई और कहा कि ये याचिकाएं दूसरे पुनरीक्षण की तरह हैं, जो CrPC के तहत मान्य नहीं हैं। अदालत ने हालांकि निर्देश दिया कि ईडी अपनी सभी प्रारंभिक आपत्तियां लिखित जवाब में शामिल करे।
ईडी ने यह भी तर्क दिया कि विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देने में लगभग 10 महीने की देरी हुई है।
गौरतलब है कि केजरीवाल को मार्च 2024 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत गिरफ्तार किया था। ट्रायल कोर्ट ने 20 जून को उन्हें जमानत दे दी थी, लेकिन ईडी की अपील पर हाईकोर्ट ने उस राहत पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, 12 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की व्याख्या से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों को बड़ी पीठ के पास भेज दिया।
ईडी की जांच सीबीआई की एफआईआर पर आधारित है, जो उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की सिफारिश पर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार की अब रद्द की जा चुकी 2021–22 की आबकारी नीति को कुछ लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए बदला गया था, जिससे अवैध कमाई हुई।
यह नीति नवंबर 2021 में लागू हुई थी और सितंबर 2022 में सार्वजनिक व राजनीतिक विरोध के चलते वापस ले ली गई थी।