दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को करोल बाग स्थित विशाल मेगा मार्ट में 4 जुलाई को लगी भीषण आग की घटना को लेकर दिल्ली सरकार, नगर निगम (MCD), दिल्ली अग्निशमन सेवा और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से जवाब मांगा है। इस आग में दो लोगों की जान चली गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह आदेश एक गैर-सरकारी संगठन “कुटुंब” द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने सभी संबंधित पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई की तारीख 24 सितंबर तय की है।
याचिका में विशाल मेगा मार्ट प्रबंधन, दिल्ली पुलिस, अग्निशमन विभाग और MCD पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया गया है, जिससे यह हादसा हुआ। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि करोल बाग जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को अनिवार्य सुरक्षा मानकों का पालन किए बिना लाइसेंस और नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) कैसे दिए गए, यह जांच का विषय है।

अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर इस याचिका में अदालत से आग्रह किया गया है कि वह नगर निगम, अग्निशमन विभाग और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए निर्देश दे, जिन्होंने कथित रूप से सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित नहीं किया।
इसके अलावा याचिका में यह मांग की गई है कि यह मूल्यांकन किया जाए कि विशाल मेगा मार्ट और आसपास की अन्य दुकानों और व्यावसायिक इकाइयों के पास वैध NOC है या नहीं और कौन-कौन अवैध रूप से संचालन कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने करोल बाग और आसपास के क्षेत्रों में स्थित ऐसे सभी अनधिकृत शॉपिंग सेंटर, रेस्तरां, कोचिंग संस्थान और अन्य प्रतिष्ठानों को तत्काल बंद करने की मांग की है जब तक कि जांच रिपोर्ट अदालत में दाखिल न की जाए।