दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता गौरव भाटिया पर आपत्तिजनक मीम्स और वीडियो हटाने का आदेश देने की कही बात

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह सोशल मीडिया पर बीजेपी नेता और सीनियर एडवोकेट गौरव भाटिया से जुड़े आपत्तिजनक व मानहानिकारक कंटेंट को हटाने के आदेश देगा।

जस्टिस अमित बंसल ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि संबंधित पक्ष मानहानिकारक सामग्री नहीं हटाते हैं, तो इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म्स को इसे हटाने का निर्देश दिया जाएगा।
“हम मानहानिकारक वीडियो हटाने का आदेश देंगे। अगर डिफेंडेंट्स इन्हें नहीं हटाते हैं, तो इंटरमीडियरी को ऐसा करने को कहा जाएगा। हम आदेश पारित करेंगे,” कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा।

पृष्ठभूमि

मामला इस महीने की शुरुआत का है जब भाटिया न्यूज18 चैनल के शो में पत्रकार अमीश देवगन के साथ दिखाई दिए। शो की शुरुआत में वह कुर्ता पहने दिखे लेकिन नीचे पायजामा या पतलून नज़र नहीं आई। इसके बाद सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में मीम्स और वीडियो वायरल हो गए।

23 सितम्बर को भाटिया स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए और एडवोकेट राघव अवस्थी के साथ पेश हुए। अवस्थी ने कहा कि भाटिया शॉर्ट्स पहने हुए थे और कैमरे की गलती से निचला हिस्सा दिख गया। उन्होंने दलील दी कि सोशल मीडिया पर फैल रहे पोस्ट उनकी प्राइवेसी का उल्लंघन करते हैं और इन्हें हटाया जाना चाहिए।

भाटिया ने कोर्ट को बताया, “मैं आपके सामने खड़ा हूं क्योंकि प्रतिष्ठा दशकों की मेहनत से अर्जित होती है। सोशल मीडिया पर लोगों को ‘नंगा’ कहने जैसे अपमानजनक शब्द इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”

कोर्ट में दलीलें

गुरुवार को सुनवाई के दौरान भाटिया ने कहा कि आपत्तिजनक सामग्री अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से आगे जाकर मानहानि का रूप ले चुकी है।
“यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो सकती, यह हास्य या व्यंग्य भी नहीं है, यदि आप इतनी हद तक जाकर किसी की मेहनत से अर्जित प्रतिष्ठा को धूमिल करें। मैं आदेश की मांग कर रहा हूं ताकि ऐसे लोगों को रोका जा सके,” उन्होंने कहा।

गूगल की ओर से पेश हुईं एडवोकेट ममता रानी झा ने कहा कि शुरुआती आदेश पहले उन वेबसाइट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ पारित होना चाहिए जो यह सामग्री पोस्ट कर रहे हैं। यदि वे अनुपालन नहीं करते हैं, तभी इंटरमीडियरी को निर्देशित किया जाना चाहिए।
“यहां न्यूज़लॉन्ड्री और दिल्ली पत्रिका जैसे डिफेंडेंट्स हैं… जब आपके लॉर्डशिप्स आदेश देंगे तो पहला आदेश इन्हीं के खिलाफ होना चाहिए और उसके बाद इंटरमीडियरी के खिलाफ,” झा ने कहा।

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कोर्ट की टिप्पणी

जस्टिस बंसल ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि पहले आदेश सीधे डिफेंडेंट्स को दिए जाएंगे। यदि वे पालन नहीं करते हैं, तो इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म्स को सामग्री हटाने का निर्देश दिया जाएगा।

कोर्ट इस मामले में औपचारिक आदेश शीघ्र ही पारित करेगा।

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