दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और भगिनी निवेदिता कॉलेज को नोटिस जारी कर उनके रुख को स्पष्ट करने को कहा है। यह आदेश उस याचिका के आधार पर आया है जिसमें एक छात्रा ने दावा किया है कि उसे और उसकी पूरी कक्षा को एक परीक्षा में शिक्षक और कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के चलते ‘फेल’ कर दिया गया।
न्यायमूर्ति विकास माहाजन की पीठ ने यह नोटिस बीए अंतिम वर्ष की छात्रा की याचिका पर जारी किया, जिसमें कहा गया है कि उसे अकादमिक सत्र 2024–2025 के छठे सेमेस्टर में “भारत में दिव्यांग बच्चों” विषय की प्रायोगिक परीक्षा में “मनमाने और अनुचित तरीके” से ‘F’ ग्रेड दिया गया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने संबंधित विषय की थ्योरी परीक्षा, आंतरिक मूल्यांकन और बाह्य प्रायोगिक परीक्षा (जिसमें प्रैक्टिकल फाइल मूल्यांकन, वाइवा और लिखित परीक्षा शामिल है) सभी में भाग लिया था। उसने थ्योरी और आंतरिक प्रायोगिक भाग में अच्छे अंक भी प्राप्त किए थे। लेकिन, याचिका के अनुसार, शिक्षक और कॉलेज प्रशासन की “लापरवाही और अव्यवस्था” के कारण बाह्य प्रायोगिक परीक्षा के अंक विश्वविद्यालय पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किए गए।

“इस कारण याचिकाकर्ता सहित पूरी कक्षा को प्रायोगिक भाग में गलत तरीके से फेल कर दिया गया। बार-बार ईमेल और अन्य माध्यमों से शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया,” याचिका में कहा गया है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि संबंधित शिक्षक और कॉलेज प्रशासन एक-दूसरे पर दोष मढ़ते रहे लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया, जिससे छात्रा और अन्य प्रभावित छात्रों को कोई राहत नहीं मिल सकी।
छात्रा ने कहा कि इस त्रुटिपूर्ण परिणाम का सीधा असर उसकी कुल CGPA और अकादमिक रिकॉर्ड पर पड़ा है, जिससे उसकी उच्च शिक्षा, यूजीसी-नेट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं और पीएचडी में दाखिले की संभावनाओं पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि वास्तविक प्रायोगिक अंक जोड़े जाएं और विषय में ‘पास’ दर्शाते हुए संशोधित अंकतालिका जारी की जाए।
अब अदालत में अगली सुनवाई विश्वविद्यालय और कॉलेज के जवाब के बाद निर्धारित की जाएगी।