दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की पांचवीं जमानत याचिका खारिज कर दी। यह मामला खुफिया ब्यूरो (आईबी) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या से जुड़ा है, जो फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान मारे गए थे। अदालत ने आरोपों को “बेहद गंभीर” और “बड़ी साज़िश का वीभत्स रूप” बताते हुए जमानत देने से इनकार किया।
न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल ने कहा कि अंकित शर्मा की हत्या “सहायक अपराध” नहीं थी, बल्कि यह एक “पूर्वनियोजित और संगठित साज़िश” का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य सीएए/एनआरसी विरोध प्रदर्शनों को व्यापक सांप्रदायिक दंगों में बदलना था, खासकर उस समय जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति भारत दौरे पर थे।
अदालत ने नोट किया कि शर्मा को भीड़ ने घसीटकर 51 घाव दिए, उनकी हत्या की और शव को 25 फरवरी 2020 को खजूरी खास नाले में फेंक दिया गया।
अदालत के आदेश में कहा गया— “इस घटना को बड़ी साज़िश का हिस्सा मानना ज़रूरी है ताकि इसकी गंभीरता और आरोपी (हुसैन) की भूमिका को सही परिप्रेक्ष्य में समझा जा सके।”

अदालत ने हुसैन के चांद बाग स्थित घर को “किला” और “ऑपरेशनल बेस” बताया, जहां से कथित तौर पर हिंदू समुदाय पर हमले किए गए। छत से बरामद पत्थर, पेट्रोल बम, अम्ल और गुलेल के साथ प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही को भी अदालत ने अहम माना।
अभियोजन पक्ष का कहना था कि हुसैन ने जानबूझकर दंगों से पहले अपने परिवार को घर से हटा दिया और उसका मकान दंगे आयोजित करने का अड्डा बन गया। साज़िश का उद्देश्य सांप्रदायिक हिंसा भड़काना, सीएए/एनआरसी के खिलाफ भ्रामक नैरेटिव फैलाना और उच्च-स्तरीय कूटनीतिक दौरे के दौरान अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना था। अदालत ने स्पष्ट किया कि अंकित शर्मा की हत्या को अलग-थलग घटना नहीं माना जा सकता, बल्कि यह साज़िश का प्रत्यक्ष और अपेक्षित परिणाम था।
हुसैन की लंबी न्यायिक हिरासत और ट्रायल में देरी के आधार पर जमानत मांग को अदालत ने अस्वीकार कर दिया। अदालत ने कहा—
“लंबी कैद अपने आप में जमानत का आधार नहीं हो सकती जब तथ्य गंभीर अपराधों में संलिप्तता दर्शाते हों। बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगों जैसे मामलों में, जो देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाते हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा और लोक व्यवस्था को व्यक्तिगत अधिकारों के मुकाबले प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”
अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि हुसैन ने कथित रूप से गवाह को प्रभावित करने की कोशिश अपने बेटे के माध्यम से की थी।
24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। अंकित शर्मा के पिता ने 25 फरवरी को बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, बाद में पता चला कि उनका शव चांद बाग पुलिया के पास नाले से बरामद हुआ। हत्या के मामले में चार अन्य आरोपियों को भी भीड़ का हिस्सा बताया गया है।
ताहिर हुसैन 16 मार्च 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं।