दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 12 लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराते हुए एक दिन के साधारण कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई। इन पर आरोप था कि उन्होंने कोलकाता में कोर्ट-नियुक्त कमिश्नरों को उनके आधिकारिक कार्य के दौरान रोका और उन पर हमला किया।
घटना उस समय हुई जब हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर कोलकाता के खिद्दरपुर इलाके के बाजारों में सैमसंग के नकली उत्पादों की जांच करने पहुंचे थे। उन्हें ऐसे सामानों की सूची तैयार कर उन्हें ज़ब्त कर सील करने और फिर सुपरदारी पर छोड़े जाने का निर्देश दिया गया था, ताकि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें अदालत के सामने पेश किया जा सके।
लेकिन निरीक्षण के दौरान एक भीड़ ने कमिश्नरों और उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया, जिससे वे घायल हो गए। अदालत ने कहा कि यह हमला उन्हें डराने और अपने न्यायिक कर्तव्य निभाने से रोकने की सुनियोजित कोशिश थी।

अपने आदेश में बेंच ने कहा, “कोर्ट कमिश्नरों को बुरी तरह पीटा गया, उनके मन में भय पैदा किया गया और उन्हें वहां से भागने पर मजबूर किया गया। यह कृत्य न्याय में बाधा डालने के साथ-साथ अदालत की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।”
हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि ऐसे मामलों से सख्ती से नहीं निपटा गया, तो आम जनता की नजर में कानून की गरिमा गिर जाएगी और समाज पर उसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा। अदालत ने कहा, “यह अदालत का कर्तव्य है कि ऐसे लोगों को कठोर सज़ा दी जाए जो न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप करते हैं, ताकि कानून का राज कायम रहे।”
यह अवमानना कार्यवाही सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड की याचिका पर शुरू हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कोलकाता के कई विक्रेता उसके नाम से नकली मोबाइल फोन, टैबलेट और एक्सेसरीज़ बेच रहे हैं। इस शिकायत पर अदालत ने 11 एडवोकेट कमिश्नरों को संबंधित बाजारों में निरीक्षण करने का आदेश दिया था।
हालाँकि अवमानना के आरोपियों ने बिना शर्त माफी मांगी, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों पर हमला किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया।