दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2025 को लेकर बढ़ती चिंताओं पर सोमवार को संज्ञान लिया और छात्रों के बीच व्याप्त “सस्पेंस और तनाव” को हानिकारक बताया। कोर्ट ने CLAT-2025 परीक्षा में कथित त्रुटियों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है। ये याचिकाएं पहले देश के विभिन्न हाईकोर्ट्स में दायर की गई थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 6 फरवरी 2025 को सभी को एकीकृत रूप से दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था ताकि統一 निर्णय हो सके।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने विशेष रूप से अंडरग्रेजुएट (UG) पाठ्यक्रमों की याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की आवश्यकता जताई। पीठ ने कहा, “UG से संबंधित मामले में तत्कालता है। हम जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करना चाहते हैं ताकि परिणाम घोषित किए जा सकें और UG प्रक्रिया शुरू हो सके।”
यह तात्कालिकता छात्रों और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज़ के कंसोर्टियम द्वारा दायर उन याचिकाओं से उत्पन्न हुई है, जिनमें 1 दिसंबर 2024 को आयोजित परीक्षा के कई सवालों पर आपत्ति जताई गई है।

इससे पहले 20 दिसंबर 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने उत्तर कुंजी (Answer Key) में स्पष्ट त्रुटियों के कारण CLAT-2025 के परिणामों को संशोधित करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि ऐसी “स्पष्ट त्रुटियों” को नजरअंदाज करना न्याय के खिलाफ होगा। यह फैसला एक CLAT अभ्यर्थी द्वारा 7 दिसंबर 2024 को प्रकाशित उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली याचिका पर आया था। उस याचिका को आंशिक रूप से मंजूरी दी गई थी।
बाद में कंसोर्टियम ने इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की, लेकिन 24 दिसंबर को डिवीजन बेंच ने एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा और किसी अंतरिम रोक के बिना संशोधित परिणाम जारी करने की अनुमति दी।
अब दिल्ली हाईकोर्ट इस पूरे मामले को जल्द सुलझाने की दिशा में आगे बढ़ रही है, ताकि छात्रों की अनिश्चितता खत्म हो और CLAT-2025 की आगे की प्रक्रिया सुचारु रूप से शुरू की जा सके।