दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में लोकप्रिय क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स स्विगी और ज़ेप्टो को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई ‘मिशन एक्सेसिबिलिटी’ नामक एनजीओ द्वारा दायर एक याचिका के आधार पर की गई है, जिसमें दृष्टिबाधित उपयोगकर्ताओं के लिए इन ऐप्स की पहुँच योग्य न होने की बात कही गई है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स को कानून द्वारा निर्धारित एक्सेसिबिलिटी मानकों का पालन करना आवश्यक है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अमर जैन ने अदालत को बताया कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (Rights of Persons with Disabilities Act) डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को दृष्टिबाधितों के लिए उपयुक्त फीचर्स शामिल करने के लिए बाध्य करता है। इसके बावजूद, 2019 की कानूनी समयसीमा बीत जाने के बाद भी स्विगी और ज़ेप्टो की ऐप्स स्क्रीन-रीडर सॉफ़्टवेयर के साथ संगत नहीं हैं।
याचिका में तर्क दिया गया है कि इन ऐप्स में खोज और इंटरैक्टिव सुविधाओं की अनुपलब्धता न केवल संविधान द्वारा प्रदत्त मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों की गरिमा को भी ठेस पहुँचाती है, क्योंकि उन्हें खाद्य और किराना सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं तक समान पहुंच से वंचित किया जा रहा है।

अदालत ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है और सभी से चार सप्ताह में जवाब माँगा है।