दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी को निर्देश दिया कि वे सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ कथित आपत्तिजनक और यौन संदर्भों वाले कंटेंट अपलोड करने वाले व्यक्तियों को अपनी मानहानि याचिका में पक्षकार बनाएं।
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता चौधरी, जो नowshera विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनलों समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनकी छवि खराब करने वाला कंटेंट प्रसारित किया गया है।
जस्टिस अमित बंसल की एकल-न्यायाधीश पीठ ने चौधरी की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसमें उन्होंने सुनवाई की तारीख 13 जनवरी 2026 से आगे बढ़ाकर 16 दिसंबर करने का आग्रह किया था।
सुनवाई के दौरान चौधरी के वकील ने इंटरनेट से आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए तत्काल निर्देश देने की गुहार लगाई और कहा कि वायरल वीडियो में उनके मुवक्किल का चेहरा “एक महिला के साथ चारों ओर फैलाया गया है।”
इस पर अदालत ने टिप्पणी की, “आपका चेहरा एक वर्ष से अधिक समय से वहां है और आप अब जागे हैं। इसलिए यह तात्कालिकता का झूठा एहसास है। मैं आपकी बात समझता हूं, लेकिन पहले उन्हें (अपलोडर्स) आने दें, फिर हम आदेश पारित करेंगे.”
अदालत ने मेटा प्लेटफॉर्म्स के वकील को निर्देश दिया कि वे अपलोडर्स का IP पता और बेसिक सब्सक्राइबर जानकारी तीन दिनों के भीतर वादी को उपलब्ध कराएं। अदालत ने आगे कहा, “वादी अपलोडर्स को पक्षकार बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए और उन्हें याचिका की अग्रिम प्रति सेवा करे।”
इससे पहले अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी कि वादी ने कथित आपत्तिजनक कंटेंट की ट्रांसक्रिप्ट दाखिल नहीं की है, जिसके बिना यह तय करना संभव नहीं कि सामग्री मानहानिकारक है या नहीं। अदालत ने चौधरी को निर्देश दिया था कि वे विवादित कंटेंट और उसके ट्रांसक्रिप्ट रिकॉर्ड पर रखें।
वादी पक्ष ने कोर्ट को बताया कि अधिकतर आपत्तिजनक कंटेंट दो वर्ष पुराना है और अधिकांश URLs मीडिया रिपोर्ट्स से संबंधित हैं।

