अजमेर शरीफ दरगाह के खातों के ऑडिट को लेकर दायर याचिका पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए ऑडिट प्रक्रिया का समर्थन किया और कहा कि यह पूरी तरह कानून के प्रावधानों के अनुसार की जा रही है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए समय दिया गया और अगली सुनवाई की तारीख 7 मई तय की गई।
यह याचिका अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया खुद्दाम ख्वाजा साहिब सैयदज़ादगान दरगाह शरीफ, अजमेर और एक अन्य पंजीकृत संस्था द्वारा दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीएजी के अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनके कार्यालय में “गैरकानूनी तलाशी/दौरा” किया, जो सीएजी अधिनियम, 1971 और सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि उनके खातों का ऑडिट रोका जाए क्योंकि यह कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है।
सीएजी की ओर से दायर जवाब में कहा गया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 14 मार्च 2024 को ही याचिकाकर्ताओं को सूचित कर दिया था कि दरगाह के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए सीएजी द्वारा ऑडिट कराया जाना प्रस्तावित है और इसके खिलाफ याचिकाकर्ता को अपनी आपत्ति दर्ज कराने का अवसर भी दिया गया था।
सीएजी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं, जिन्हें केंद्र सरकार ने 17 अक्टूबर 2024 को एक पत्र के माध्यम से खारिज कर दिया। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने 30 जनवरी 2025 को सीएजी को सूचित किया कि राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हो चुकी है।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऑडिट की प्रक्रिया शुरू करने से पहले मंत्रालय को सीएजी को एक औपचारिक पत्र भेजना चाहिए था, जिसमें ऑडिट के नियम और शर्तें स्पष्ट होतीं और वही शर्तें याचिकाकर्ता को भी प्रदान की जानी चाहिए थीं, ताकि वे अपनी प्रतिक्रिया दे सकें।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ऑडिट प्रक्रिया शुरू करने से पहले राष्ट्रपति या राज्यपाल की अनुमति आवश्यक थी।
पिछली सुनवाई में, 28 अप्रैल को, अदालत ने संकेत दिया था कि वह दरगाह के खातों की ऑडिट प्रक्रिया पर रोक लगाने के पक्ष में है और सीएजी के वकील से इस संबंध में स्पष्ट स्थिति प्रस्तुत करने को कहा था। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अब तक उन्हें ऑडिट की शर्तें नहीं सौंपी गई हैं।
अब यह मामला 7 मई को फिर से सुना जाएगा।