शनिवार को एक महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय सामने आया जब दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी। हालांकि, ताहिर हुसैन को अभी जेल में ही रहना होगा क्योंकि उन पर साम्प्रदायिक हिंसा की एक बड़ी साजिश में शामिल होने के आरोप भी हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अध्यक्षता में हुई इस सुनवाई में अदालत ने इस बात पर ध्यान दिया कि हुसैन को पहले ही चार साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 4 के तहत अधिकतम सजा सात साल निर्धारित है।
न्यायाधीश बाजपेयी ने अपने आदेश में कहा, “अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि आरोपी (हुसैन) को जिन आरोपों के तहत हिरासत में रखा गया है, उनमें अधिकतम सजा की आधी अवधि से अधिक वह पहले ही काट चुका है, इसलिए उसे जमानत का हकदार माना जाता है।” इसके चलते हुसैन को ₹50,000 के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानती पेश करने पर जमानत दे दी गई।

हुसैन के खिलाफ मामला दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई तीन एफआईआर पर आधारित है, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत विभिन्न आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 9 मार्च 2020 को उनके खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की थी, जिससे उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू हुई और कानूनी लड़ाई तेज हुई।