दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यात्रियों द्वारा पहनी गई व्यक्तिगत ज्वेलरी को केवल उसकी शुद्धता या वजन के आधार पर जब्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने एक महिला यात्री शमीना की चार सोने की चूड़ियों की जब्ती को अवैध ठहराते हुए कस्टम विभाग का आदेश रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि उक्त चूड़ियाँ चार सप्ताह के भीतर लौटाई जाएं।
यह फैसला न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शमीना बनाम कस्टम्स आयुक्त [W.P.(C) 7230/2025] मामले में सुनाया।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता शमीना, एक भारतीय नागरिक हैं, जो अपने पति से मिलने रियाद गई थीं। वह वापसी के दौरान चार सोने की चूड़ियाँ पहने हुए थीं, जिन्हें उन्होंने अपनी व्यक्तिगत ज्वेलरी बताया। 19 मार्च 2024 को दिल्ली हवाई अड्डे पर आगमन के समय उन्होंने इन चूड़ियों की कोई घोषणा नहीं की। उनका कहना था कि ये उनकी पहनी हुई निजी वस्तुएं थीं, इसलिए इसकी घोषणा की आवश्यकता नहीं थी।

कस्टम विभाग ने चूड़ियाँ जब्त कर लीं और 9 अक्टूबर 2024 को एक आदेश जारी कर उन्हें पूरी तरह ज़ब्त कर लिया। यह आदेश कस्टम अधिनियम, 1962 की धारा 111(d), 111(i), 111(j) और 111(m) के तहत पारित किया गया था। साथ ही, धारा 112(a) और 112(b) के तहत ₹1,00,000 का जुर्माना भी लगाया गया।
कस्टम अधिकारियों ने शमीना को अधिसूचना संख्या 50/2017-कस्टम्स और बैगेज रूल्स, 2016 के तहत ‘अयोग्य यात्री’ घोषित किया और उन्हें फ्री अलाउंस से भी वंचित कर दिया।
याचिकाकर्ता के तर्क
शमीना ने हाईकोर्ट में दलील दी कि:
- जब्त की गई चूड़ियाँ उनकी व्यक्तिगत उपयोग की हैं।
- कस्टम विभाग ने न तो विधिवत कारण बताओ नोटिस जारी किया और न ही व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया।
- वकील द्वारा कथित रूप से दी गई नोटिस की माफी और सुनवाई से छूट कानूनी रूप से अवैध है।
कस्टम विभाग का पक्ष
सरकारी वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के वकील ने स्वयं नोटिस और सुनवाई से छूट दी थी और मौखिक रूप से नोटिस प्राप्त किया था। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि चूड़ियाँ उच्च शुद्धता (998) की थीं, इसलिए उन्हें व्यक्तिगत ज्वेलरी नहीं माना जा सकता।
कोर्ट का विश्लेषण
हाईकोर्ट ने कहा कि:
“वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता को कोई व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया है।”
कोर्ट ने माना कि केवल ज्वेलरी की शुद्धता के आधार पर उसे ‘निजी ज्वेलरी’ से बाहर नहीं किया जा सकता। इस संबंध में कोर्ट ने कई अहम निर्णयों का उल्लेख किया:
1. DRI बनाम पुष्पा लेखुमल टोलानी [(2017) 16 SCC 93]
इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था:
“…यात्रा के दौरान पहनी गई ज्वेलरी को केवल उसके मूल्य के आधार पर ‘व्यक्तिगत वस्तु’ की श्रेणी से बाहर नहीं किया जा सकता। ऐसी ज्वेलरी पर आयात शुल्क नहीं लगेगा और उसकी घोषणा की कोई आवश्यकता नहीं।”
2. सबा सिमरन बनाम भारत संघ [2024:DHC:9155-DB]
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि बैगेज रूल्स, 2016 के तहत “personal jewellery” और “jewellery” में भेद किया जाना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को विशेष अनुमति याचिका में चुनौती देने से इनकार कर दिया था।
3. मखिंदर चोपड़ा बनाम कस्टम आयुक्त, नई दिल्ली [2025:DHC:1162-DB]
इस निर्णय में भी कहा गया था कि:
“जो ज्वेलरी वास्तव में व्यक्तिगत उपयोग में है, उसे बैगेज रूल्स के तहत personal effects से बाहर नहीं किया जा सकता।”
आदेश
कोर्ट ने जब्ती आदेश को रद्द करते हुए निर्देश दिया:
“जब्त की गई चूड़ियाँ याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर लौटा दी जाएं, बशर्ते वह वेयरहाउसिंग चार्ज का भुगतान करें। यह चार्ज चूड़ियाँ जब्त किए जाने की तारीख के अनुसार लागू होगा।”
याचिका और लंबित सभी आवेदन समाप्त कर दिए गए।