राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने एक याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति के बैंक खाते से हैकर द्वारा या अन्य कारणों से पैसा निकाल कर धोखाधड़ी की जाती है ।तो इसकी जिम्मेदार बैंक प्रबंधन है और इसमें खाताधारक की कोई लापरवाही नही है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के न्यायाधीश सी विश्वनाथ ने एक एनआरआई महिला के साथ क्रडिट कॉर्ड के जरिये हुई हैकिंग के मामले में बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है और आयोग ने एचडीएफसी बैंक द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि पीड़ित एनआरआई महिला को 6 हजार 110 अमेरिकी डॉलर(भारतीय रुपयों में 4.46 लाख) रुपयों को 12 प्रतिशत व्याज के साथ वापस लौटाए और साथ ही बैंक प्रबंधन को पीड़ित महिला के मानसिक प्रताड़ना के तौर पर 40 हजार और मुकदमे खर्च के 5 हजार रुपए देने का निर्देश दिया है।
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उपभोक्ता आयोग के जज सी विश्वनाथ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा की एचडीएफसी बैंक किसी भी तरह का साक्ष्य पेश नही कर पाई है। जिससे कि साबित हो कि पीड़ित महिला का क्रेडिट कार्ड किसी अन्य ने चोरी कर लिया था। महिला ने दावा ठोका ही कि किसी हैकर ने उसके खाते से पैसे निकाले हैं।
आयोग ने माना है कि आजकल के डिजिटल युग में क्रेडिट कार्ड हैकिंग से इनकार नही किया जा सकता। पूरे मामले की गम्भीरता को समझते हुए आयोग ने खाते से रुपए निकल जाने के मामले में बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है।
खाते में जमा राशि बैंक सुरक्षा के हवाले-
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा की क्या बैंक को किसी व्यक्ति(खाताधारक छोड़कर) के कारण या खाते से अवैध तरीके से हुई निकासी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
इसका जवाब हाँ में है। यदि बैंक किसी व्यक्ति का खाता खोलता है तो बैंक उस व्यक्ति की जमापूंजी की की सुरक्षा लेने के लिए जिम्मेदार होता है।
किसी भी प्रणालीगत विफलता चाहे वह उनकी और से हो या अन्य किसी और कि और से (खाताधारक को छोड़कर) ग्राहक जिम्मेदार नही है बल्कि बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है।
इस कारण मौजूदा मामले में भी महिला के खाते से अवैध रुप से रुपयों की निकासी व धोखाधडी के मामले में ग्राहक के नुकसान की भरपाई बैंक को ही करनी होगी।